NEET UG MBBS BDS Medical College Seat Admission 2019: मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में एमबीबीएस और बीडीएस कोर्स के एडमिशन के लिए क्वालीफाई कराने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की नीट परीक्षा 2019 का नतीजा आ चुका है. नीट टेस्ट में बैठे लगभग 14 लाख बच्चों में करीब-करीब 8 लाख पास हुए हैं लेकिन देश के सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को मिलाकर एमबीबीएस और बीडीएस की सीटें 97 हजार के आसपास ही हैं. मतलब साफ है कि 8 लाख नीट एग्जाम पास तो कर गए लेकिन डॉक्टरी की पढ़ाई करने का मौका इनमें से बमुश्किल 1 लाख को ही मिल पाएगा और बाकी 7 लाख स्टुडेंट्स के डॉक्टर बनने का संघर्ष अगले साल की नीट परीक्षा 2020 तक टल जाएगा.
नई दिल्ली. देश के मेडिकल कॉलेज और डेंटल कॉलेज में यूजी कोर्स यानी एमबीबीएस और बीडीएस कोर्स की पढ़ाई के लिए नेशनल टेस्टिंग एजेंसी एनटीए द्वारा आयोजित नीट नेशनल इलिजिबिलिटी कम इंट्रेस टेस्ट 2019 का रिजल्ट आ गया है. नीट 2019 परीक्षा में 14 लाख से ज्यादा स्टुडेंट बैठे थे जिसमें मात्र 7 लाख 97 हजार 42 बच्चे पास हुए हैं. भारत में मेडिकल कॉलेज और डेंटल कॉलेज में एमबीबीएस और बीडीएस की इस समय कुल 97498 सीटें हैं जिसका मतलब ये हुआ है कि नीट क्वालीफाई करने के बाद भी कम से कम 7 लाख बच्चों को मेडिकल कॉलेज में दाखिला नहीं मिल पाएगा.
मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की वेबसाइट के मुताबिक देश में सरकारी और प्राइवेट कुल 529 मेडिकल कॉलेज ऐसे हैं जो इस साल 70878 स्टुडेंट्स को एमबीबीएस कोर्स में एडमिशन दे सकते हैं. वहीं डेंटल काउंसिल ऑफ इंडिया की वेबसाइट के मुताबिक देश भर में सरकारी और प्राइवेट कुल 313 डेंटल कॉलेज हैं जो इस साल 26620 बीडीएस सीटों पर दाखिला ले सकते हैं. देश के सरकारी और प्राइवेट कॉलेजों में एमबीबीएस और बीडीएस दोनों कोर्स को मिलाकर सीटों की कुल संख्या 97498 बनती है जबकि नीट में इस साल पास छात्र-छात्राओं की संख्या 7,97,042 है. जाहिर तौर पर 97498 को ही एडमिशन मिल पाएगा और बाकी 7 लाख के लगभग स्टुडेंट्स को अपना रैंक सुधारने के लिए अगले साल फिर नीट परीक्षा 2020 में बैठना होगा ताकि वो उस रैंक में या रिजर्वेशन क्राइटेरिया में आ सकें कि देश में मौजूद 97 हजार से कुछ ज्यादा एमबीबीएस और बीडीएस की सीटों में जगह बना सकें.
अब क्या है विकल्प नीट पास स्टूडेंट्स के पास
यहां यह जानना जरूरी है कि यहां उन्हीं मेडिकल कॉलेजों की लिस्ट दी गई है जो नीट के जरिए अपने संस्थान में छात्रों का एडमिशन लेते हैं. AIIMS और JIPMER जैसे कुछ संस्थान अपने यहां एडमिशन के लिए अलग से एंट्रेंस टेस्ट का आयोजन करते हैं. हालांकि अधिकांश मेडिकल कॉलेज नीट के स्कोर के आधार पर ही अपने संस्थान में एडमिशन लेते हैं. मेडिकल और डेंटल कॉलेजों में एमबीबीएस और बीडीएस कोर्स के एडमिशन के लिए क्वालीफाई कराने वाली नेशनल टेस्टिंग एजेंसी की नीट परीक्षा 2019 का नतीजा आ चुका है. नीट टेस्ट में बैठे लगभग 14 लाख बच्चों में करीब-करीब 8 लाख पास हुए हैं लेकिन देश के सरकारी और प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को मिलाकर एमबीबीएस और बीडीएस की सीटें 97 हजार के आसपास ही हैं. मतलब साफ है कि 8 लाख नीट एग्जाम पास तो कर गए लेकिन डॉक्टरी की पढ़ाई करने का मौका इनमें से बमुश्किल 1 लाख को ही मिल पाएगा और बाकी 7 लाख स्टुडेंट्स के डॉक्टर बनने का संघर्ष अगले साल की नीट परीक्षा 2020 तक टल जाएगा.