Maharashtra SSC Board Internal Marks: इंटरनल अंकों के न जुड़ने की वजह से महाराष्ट्र 10वीं बोर्ड की बच्चों को दूसरे बोर्ड के बच्चों के सामने कम अंक मिल रहे हैं जिसका असर प्रवेश प्रक्रियाओं पर पड़ रहा है और बच्चों को अच्छे कॉलेजों में एडमिशन नहीं मिल पा रहा है. जिसे देखते हुए राज्य सरकार केंद्र सरकार से सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के छात्रों को लिखित परीक्षा में मिले अंकों के आधार पर 11वीं में दाखिला देने का आग्रह करेगी.
मुंबई. महाराष्ट्र बोर्ड के छात्रों को 10वीं बोर्ड के बाद इंटरनल मार्क्स न मिलने की वजह से एसएससी का रिजल्ट करीब 12.31 फीसदी कम रहा है. जबकि सीबीएसई और आईसीएसई के छात्र इंटरनल मार्क्स के साथ ज्यादा अंक पाने में सफल रहे. बच्चों को कम अंक मिलने की वजह से प्रवेश प्रक्रिया में पिछड़ जाने को लेकर राज्य बोर्ड को उनके परिजनों का आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है. इस बीच खबर है कि राज्य की देंवेंद्र फड़णविस सरकार केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार से सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड के छात्रों को लिखित परीक्षा में मिले अंकों के आधार पर 11वीं कक्षा में एडमिशन देने आग्रह करेगी.
बीते मंगलवार को जूनियर कॉलेजों के मुख्याध्यापकों, संस्था संचालकों और अभिभावकों ने इस बाबत महाराष्ट्र सरकार में शिक्षा मंत्री विनोद तावडे के साथ मुलाकात की. जहां अभिभावकों ने शिक्षा मंत्री से मराठी समेत दूसरे विषयों के इंटरनल मार्क्स न जुड़ने की वजह से 11वीं में दाखिले के लिए होने वाली प्रवेश प्रक्रियाओं में पिछड़ रहे उनके बच्चों की चिंता व्यक्त की. बच्चों के पेरेंट्स ने बताया कि इस वजह उनके बच्चों को मन पसंद और अच्छे कॉ़लेजों में एडमिशन नहीं मिलता है जिसका बच्चे पर भी मानसिक प्रभाव पड़ता है. अभिभावकों ने शिक्षा मंत्री विनोद तावडे से इस परेशानी का जल्द हल करने की मांग की.
महाराष्ट्र की देवेंद्र फड़णविस सरकार में मंत्री विनोद तावडे ने अभिभावकों को इस संबंध में केंद्रीय मानव संसाधन मंत्री, सीबीएसई और आईसीएसई बोर्ड से चर्चा कर जल्द हल निकालने का भरोसा दिलाया. विनोद तावडे ने मीडिया से बताया कि महाराष्ट्र एसएससी बोर्ड के कुछ छात्रों के अभिभावकों ने उनसे मुलाकात कर शिकायत की राज्य सरकार के मराठी और अन्य विषयों में इंटरनल मार्क सिस्टम को हटाने की वजह से बच्चों को अपनी पसंद के कॉलेज में एडमिशन मिलना काफी मुश्किल हो गया है.