JNU: जेएनयू में 749 छात्रों में सिर्फ चार छात्र ही पास कर पाए हिन्दी MPhil प्रवेश परीक्षा

जेएनयू में नए शैक्षिक सत्र के लिए प्रवेश परीक्षाओं का परिणाम चौंकाने वाला आया है. इस बार हिंदी विभाग में 749 छात्रों में से सिर्फ चार का साक्षात्कार के लिए चयन किया गया है. छात्रों और शिक्षकों ने आरोप लगाते हुए कहा है कि वंचित तबके से आने वालों को अतिरिक्त अंक नहीं दिए जा रहे हैं.

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JNU: जेएनयू में 749 छात्रों में सिर्फ चार छात्र ही पास कर पाए हिन्दी MPhil प्रवेश परीक्षा

Aanchal Pandey

  • March 2, 2018 3:01 am Asia/KolkataIST, Updated 7 years ago

नई दिल्ली: अक्सर चर्चाओं में बनी रहने वाली जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जेएनयू) एक बार फिर से चर्चा में है. दरअसल इस बार जेएनयू में नए शैक्षिक सत्र के लिए प्रवेश परीक्षाओं का परिणाम चौंकाने वाला आया है. इस बार हिंदी विभाग में 749 छात्रों में से सिर्फ चार का साक्षात्कार के लिए चयन किया गया है. आपको बता दें कि हिंदी विभाग में एमफिल/पीएचडी कार्यक्रम की 12 सीटें हैं. वहीं इस मामले में छात्रों और शिक्षकों ने आरोप लगाते हुए कहा है कि वंचित तबके से आने वालों को अतिरिक्त अंक नहीं दिए जा रहे हैं.

सेंटर फॉर इंडियन लेंगवेज्स के प्रमुख गोबिंद प्रसाद के मुताबिक, अब आरक्षण की नीति को खत्म कर दिया गया है. हिंदी विभाग की 12 सीटों के लिए 749 छात्रों ने परीक्षा दी जिसमें सिर्फ 4 छात्रों का साक्षात्कार के लिए चयन किया गया है. उन्होंने आगे कहा कि लिखित परीक्षा को पास करने के बाद भी उम्मीदवारों का साक्षात्कार के चरण में सफल होने का कोई भरोसा नहीं है. अंतिम चयन में शत-प्रतिशत अहमियत साक्षात्कार की है. दरअसल साल 2016 में यूजीसी ने लिखित परीक्षा में 50 प्रतिशत अंक हासिल करने के बाद ही साक्षात्कार देने का नियम बनाया था. अब उसी आधार पर अंतिम चयन भी किया जाएगा.

गौरतलब है कि दूसरे केंद्रों का भी यही हाल है और वहां भी कम छात्रों को ही साक्षात्कार के लिए बुलाया गया है. बताते चलें कि पहले जेएनयू में 70 प्रतिशत लिखित परीक्षा और 30 फीसदी साक्षात्कार को महत्तव दिया जाता था. वहीं दूरदराज और पिछड़े इलाकों से आने वाले छात्रों को ‘वंचित अंक’ दिए जाते थे. वहीं इस मामले में जेएनयू के रजिस्ट्रार प्रमोद कुमार और दाखिला निदेशक मिलाप पुनिया से सवाल पूछने पर उन्होंने चुप्पी साधे रखी.

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