नई दिल्ली: भारत अपने छात्रों को दुनिया भर में इंजीनियरिंग में आने वाले बदलावों, पर्यावरण परिवर्तन और बढ़ते तापमान के लिए भी तैयार करेगा. बता दें कि इस उद्देश्य से नेशनल बोर्ड ऑफ सर्टिफिकेशन (एनबीए) वाशिंगटन समझौते के मुताबिक ग्रेजुएट एट्रीब्यूट्स एंड प्रोफशनल कंपीटेंसी (GAPC-4) के चौथे सुधार को लागू कर रहा है, और बी.टेक […]
नई दिल्ली: भारत अपने छात्रों को दुनिया भर में इंजीनियरिंग में आने वाले बदलावों, पर्यावरण परिवर्तन और बढ़ते तापमान के लिए भी तैयार करेगा. बता दें कि इस उद्देश्य से नेशनल बोर्ड ऑफ सर्टिफिकेशन (एनबीए) वाशिंगटन समझौते के मुताबिक ग्रेजुएट एट्रीब्यूट्स एंड प्रोफशनल कंपीटेंसी (GAPC-4) के चौथे सुधार को लागू कर रहा है, और बी.टेक की डिग्री पूरी करने के बाद कितने छात्रों को नौकरी मिली और उद्योग उनके कौशल से संतुष्ट है या नहीं, जैसे पहलुओं का मूल्यांकन किया जायेगा. साथ ही इंडस्ट्री फीडबैक के आधार पर सभी आईआईटी और एआईसीटीई से मान्यता प्राप्त इंजीनियरिंग कॉलेजों के पाठ्यक्रम, पढ़ाने के तरीके, परीक्षाओं और प्रशिक्षण में बदलाव किए जाएंगे.
12 चीजों पर जोर
बता दें कि राष्ट्रीय प्रमाणन बोर्ड के अध्यक्ष प्रोफेसर अनिल सहस्त्रबुद्धे ने बताया कि चौथे चरणों के सुधारों के द्वारा इंजीनियरिंग क्षेत्र के 12 गुणवत्ता मानक हैं. साथ ही इनमें इंजीनियरिंग फाउंडेशन, आईटी प्रिंसिपल, प्रॉब्लम एनालिसिस, यूज ऑफ इंजीनियरिंग टूल्स जैसे कई आईटी सॉफ्टवेयर और चिप डिजाइन, वेल्यू एजूकेशन, सस्टेनेबिलिटी और इंजीनियर इन सोसाइटी (यानी इंजीनियर समाज की बेहतरी के लिए किस प्रकार तकनीक से मदद करें) विषय भी शामिल हैं.
दरअसल बीटेक करने के बाद कितने फीसदी छात्रों को कहां रोजगार मिला, और इंडस्ट्री उनके काम से खुश है या नहीं, इंडस्ट्री को उनके तकनीकी ज्ञान से कोई फायदा हो रहा या नहीं, या फिर इंडस्ट्री समय के मुताबिक क्या बदलाव चाहती है, उनका मूल्यांकन किया जाएगा, और इसके लिए कॉलेजों से पूर्व छात्रों की जानकारी लेकर, कार्यस्थली वाली इंडस्ट्री में जाकर फीडबैक लिया जा सकता है.
1. मान्यता का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मानक बढ़ेगा.
2. तकनीकी कॉलेज पाठ्यक्रम में नई तकनीक, परीक्षा पद्धति में बदलाव कर रहे हैं और नहीं की जानकारी भी मिलेगी.
3. इंडस्ट्री की मांग के मुताबिक बदलाव पर फोकस किया और नहीं, इंडस्ट्री उनको प्रतिक्रिया दे रही है या नहीं का मूल्यांकन होगा.
4. पर्यावरण, सस्टेनेबिलिटी, इकोलॉजी में आ रहे बदलावों पर छात्रों को जागरूक करना होगा जरुरी.
अभी एआईसीटीई के महज 15 फीसदी इंजीनियरिंग कॉलेजों के कोर्स को NBA से मान्यता प्राप्त हैं, जबकि सरकार का लक्ष्य इसे 100 फीसदी हासिल करना है. बता दें कि इस साल एआईसीटीई ने कॉलेजों को थोड़ी राहत मिली है, लेकिन आने वाले समय में जिनके कोर्स NBA से मान्यता प्राप्त नहीं होंगे, उन्हें बंद कर दिया जा सकता है.
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