उत्तर प्रदेश. कहते हैं कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती और लगन से किए गए काम को हमेशा सफलता मिलती है. ताज़ा मामला उत्तर प्रदेश के प्रयागराज का है जहाँ दलित छात्रा की प्रतिभा से प्रभावित होकर हाईकोर्ट के जज ने खुद छात्रा की फीस भरी. शुरुआत से ही अव्वल रही छात्रा बीते […]
उत्तर प्रदेश. कहते हैं कोशिश करने वालों की कभी हार नहीं होती और लगन से किए गए काम को हमेशा सफलता मिलती है. ताज़ा मामला उत्तर प्रदेश के प्रयागराज का है जहाँ दलित छात्रा की प्रतिभा से प्रभावित होकर हाईकोर्ट के जज ने खुद छात्रा की फीस भरी.
बीते दिनों प्रयागराज की एक छात्रा ने पैसे के आभाव के चलते बीएचयू में एडमिशन न मिलने पर हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी, छात्रा को दसवीं की परीक्षा में 95 प्रतिशत तथा बारहवीं कक्षा में 94 प्रतिशत अंक मिले थे. वह जेईई की परीक्षा में बैठी और उसने मेन्स में 92 प्रतिशत अंक प्राप्त किये तथा उसे बतौर अनुसूचित जाति श्रेणी में 2062 वां रैंक हासिल हुआ. उसके बाद वह जेईई एडवांस की परीक्षा में शामिल हुई जिसमें वह 15 अक्टूबर 2021 को सफल घोषित की गई और उसकी रैंक 1469 आई. उसका आईआईटी बीएचयू में एडमिशन होना था, जिसमें दाखिले के किए छात्रा को 15,000 रूपये जमा करने थे, लेकिन आर्थिक मुश्किलों के चलते छात्रा फीस जमा नहीं कर पाई.
आईआईटी बीएचयू में एडमिशन के लिए प्रयागराज की छात्रा को पंद्रह हज़ार रूपये जमा करवाने थे, लेकिन कोरोना की वजह से आई आर्थिक तंगी और पिता की बीमारी के चलते छात्रा यह फीस जमा नहीं कर पाई थी जिस वजह से उनका दाखिला रुक गया. इसके बाद, उन्होंने इस सम्बन्ध में इलाहबाद हाई कोर्ट में याचिका दायर की थी. इस छात्र की प्रतिभा से प्रभावित होकर इलाहबाद हाई कोर्ट के जज जस्टिस दिनेश सिंह ने खुद उसकी फीस भर दी. साथ ही, उन्होंने जॉइंट सीट एलोकेशन अथॉरिटी और आईआईटी बीएचयू को भी निर्देश दिए कि छात्रा को तीन दिन में दाखिला दिया जाए.