हिंदी, जो इस देश की राजभाषा है, लेकिन यह इस देश की विडंबना ही है कि हिंदी को आज भी राष्ट्रभाषा का दर्जा नहीं मिला है. देश में हिंदी का महत्व कम होता जा रहा है, लेकिन फिर भी देश में एक ऐसा वर्ग अब भी जीवित है जिसने हिंदी को संजोय रखा है. देश में 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है, और सिर्फ यही एक दिन है जिस दिन लोग हिंदी के महत्व की बात करते हैं.
हिंदी का महत्व आज कम होता जा रहा है. जो हिंदी कभी हमारे देश का गौरव हुआ करती थी, आज उसी हिंदी को बोलने में लोगों को शर्म महसूस होती है. हिंदी आज विश्व की तीसरी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है, लेकिन फिर भी अपने ही देश में हिंदी को वो सम्मान न मिल सका जो अन्य भाषाओं को मिलता है. आज एक पराए मुल्क की भाषा को अधिक अहमियत दी जाती है बजाय अपनी भाषा के.
देश में 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है, बता दें कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू ने इस दिन के महत्व को देखते हुए 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने को कहा था और फिर साल 1953 से हिंदी दिवस की शुरुआत हो गई. और आज हिंदी दिवस एकमात्र दिन बन गया है जब हिंदी को महत्व दिया जाता है. कई दफ्तरों और स्कूलों में इस दिन विशेष के लिए हिंदी में ही कार्य किए जाने की ऐसी प्रतियोगिता या अनिवार्यता रखी जाती है, जैसे कि यह भाषा के गौरव का दिन नहीं बल्कि उसकी याद में मनाया जाने वाला श्रद्धांजलि दिवस हो गया हो. आज हिंदी दिवस का मनाना छात्रों के लिए एक बाध्यता हो गई है बजाय आत्म स्वीकृति के.
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