विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय को इस बात की जानकारी नहीं है कि संबंधित विभागों में एससी/एसटी/ओबीसी के बैकलॉग की कितनी सीटें खाली हैं. सूचना का अधिकार के तहत आरटीआई डालकर जब इन रिक्तियों और इनपर भर्तियों के बारे में पूछा गया तो मंत्रालय ने कोई जानकारी नहीं दी. बैकलॉग वे रिक्तियां हैं जो भर्ती के वक्त उम्मीदवार नहीं होने की वजह से खाली रह जाती हैं.
नई दिल्ली: विज्ञान और प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत ‘स्वायत्त संस्थानों’ में एससी/एसटी/ओबीसी के लिए आरक्षित बैकलॉग की कितनी रिक्तियां भरी गई हैं इसके बारे में सरकार को जानकारी नहीं है. सूचना का अधिकार के तहत आरटीआई डालकर जब विज्ञान औऱ प्रौद्योगिकी मंत्रालय में बैकलॉग रिक्तियों पर भर्ती के बारे में सवाल पूछा गया तो वहां से कोई जवाब नहीं मिला है. डिपार्टमेंट ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी विभाग के तहत 26 स्वायत्त निकाय हैं.
केरल के रेजी एपी ने एक आरटीआई दायर कर पूछा था कि नवंबर 2008 से 31 मार्च 2012 तक एससी / एसटी / ओबीसी की बैकलॉग की आरक्षित कितनी सीटों को चिन्हित किया गया और उनपर भर्ती की गई है. लेकिन इसके बारे में कोई जवाब नहीं दिया गया है. आरटीआई के जवाब में डीएसटी ने कहा, “डीएसटी के तहत स्वायत्त संस्थानों में एससी / एसटी / ओबीसी के लिए आरक्षित रिक्तियों पर यह सूचित किया जाता है कि डीओपीटी के 2013 के आदेश में स्वायत्त निकायों के बारे में कोई उल्लेख नहीं है.”
न्यूज 18 ने इस मामले पर भारत सरकार, कल्याण मंत्रालय के पूर्व सचिव पीएस कृष्णन से संपर्क किया. उन्होंने इसे अनुचित जवाब बताया. कृष्णन ने कहा कि आरक्षण पर सभी स्वायत्त निकायों की जानकारी इकट्ठा करने की जिम्मेदारी हर विभाग और मंत्रालय की है. उन्होंने कहा कि संवैधानिक जनादेश को समानता के साथ लागू करना उनका कर्तव्य है. इसके साथ ही यह सुनिश्चित करना भी मंत्रालय और विभाग का कर्तव्य है कि प्रत्येक कैडर में अनुसूचित जाति / अनुसूचित जनजाति / ओबीसी का प्रतिनिधित्व सही अनुपात में हो. उन्होंने कहा कि हमें कोई जानकारी नहीं है यह जवाब देना गैर जिम्मेदाराना है.
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