एक रिपोर्ट के आधार पर पता चला है कि स्टार्टअप कंपनियों में छंटनी के स्तर में उल्लेखनीय गिरावट आई है, जो सालाना 46 फीसदी से घटकर 8,895 हो गई है, जबकि वर्ष 2023 में यह 16,398 रहने का अनुमान था। देश की स्टाफिंग फर्मों ने वर्ष 2025 तक स्टार्टअप कंपनियों की हायरिंग प्रक्रिया में 20 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है।
नई दिल्ली : लंबे समय से बुरे दौर से गुजर रही भारत की स्टार्टअप कंपनियां अब उभरती हुई नजर आ रही हैं। इन कंपनियों की फंडिंग में भी सुधार हुआ है। यह खबर देश के युवाओं के लिए बेहद सुखद खबर साबित होने वाली है। एक रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि देश की स्टाफिंग फर्मों ने वर्ष 2025 तक स्टार्टअप कंपनियों की हायरिंग प्रक्रिया में 20 से 30 फीसदी की बढ़ोतरी का अनुमान लगाया है।
एक रिपोर्ट के आधार पर पता चला है कि स्टार्टअप कंपनियों में छंटनी के स्तर में उल्लेखनीय गिरावट आई है, जो सालाना 46 फीसदी से घटकर 8,895 हो गई है, जबकि वर्ष 2023 में यह 16,398 रहने का अनुमान था।
विशेषज्ञों ने दावा किया है कि इस बदलाव के आधार पर पता चला है कि इन कंपनियों की फंडिंग में सुधार हुआ है। बताया जा रहा है कि स्टार्टअप कंपनियों की फंडिंग सालाना आधार पर 14 फीसदी तक बढ़ी है, जो साल 2024 तक 10.9 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगी। इस ग्रोथ से इन स्टार्टअप कंपनियों को बढ़ावा मिल रहा है और वे अपनी कंपनी की ग्रोथ पर फोकस कर रही हैं।
इस रिपोर्ट में बताया गया है कि अगले साल रिटेल, ई-कॉमर्स, फिनटेक, एफएमसीजी, ऑटोमोटिव, ट्रैवल और हॉस्पिटैलिटी सेक्टर में सबसे ज्यादा हायरिंग हो सकती है। वहीं टेलीकॉम, हेल्थकेयर, फार्मा, एनर्जी और बीएफएसआई सेक्टर में आने वाले नए साल की पहली तिमाही में कम हायरिंग हो सकती है।
स्टार्टअप कंपनियों में हायरिंग पर ‘फंडिंग विंटर’ की वजह से असर पड़ा है, जिसकी वजह से 12 से 18 महीने तक इन स्टार्टअप पर निवेश न के बराबर हो गया है। मार्केट रिसर्च फर्म वेंचर इंटेलिजेंस के आंकड़ों के मुताबिक, साल 2021 में जहां 36 बिलियन डॉलर का निवेश हुआ है, वहीं साल 2022 में इसमें तेज गिरावट आई और इसमें 24.7 बिलियन डॉलर का निवेश हुआ है। साल 2023 में यह घटकर 9.6 बिलियन डॉलर रह गया।
स्टार्टअप कंपनियां अब टीम को फिर से खड़ा करने और कंपनी की लॉन्ग टर्म ग्रोथ के लिए फंड का इस्तेमाल कर रही हैं। उदाहरण के लिए, सीरीज ए फंडिंग राउंड में कंपनी द्वारा जुटाए गए 10 मिलियन डॉलर (लगभग 83 करोड़ रुपये) से आमतौर पर 25 आईटी पेशेवरों को काम करने में मदद मिलती है, जबकि 20 मिलियन डॉलर से 40 वरिष्ठ स्तर के अधिकारियों को नियुक्त करने में मदद मिलती है।
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