फल बेचने वाला बना Deputy SP , जानें 86 रैंक लाए अरविंद की कहानी

लखनऊ: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग PCS 2022 की परीक्षा का नतीजे 7 अप्रैल को सामने आ चुके है। इस परीक्षा को पास करने वाले छात्रों के संघर्ष की कहानियां चर्चा का विषय बनी हुई हैं। इसी में से एक नाम है : अरविंद सोनकर, जिनके पिता फलों की दुकान चलाते हैं। अपने हालातों से […]

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फल बेचने वाला बना Deputy SP , जानें 86 रैंक लाए अरविंद की कहानी

Amisha Singh

  • April 11, 2023 5:07 pm Asia/KolkataIST, Updated 2 years ago

लखनऊ: उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग PCS 2022 की परीक्षा का नतीजे 7 अप्रैल को सामने आ चुके है। इस परीक्षा को पास करने वाले छात्रों के संघर्ष की कहानियां चर्चा का विषय बनी हुई हैं। इसी में से एक नाम है : अरविंद सोनकर, जिनके पिता फलों की दुकान चलाते हैं। अपने हालातों से जूझने के बाद UPPSC PCS 2022 की परीक्षा दी थी। अरविंद भी अपने पिता की तरह फल का ठेला लगाते थे।

 

➨ पिता का ठेला संभालने के बाद बना DSP

 

खबर के मुताबिक, अरविंद सोनकर मऊ जिले के नासोपुर गांव के रहने वाले हैं। गोरख सोनकर शहर के भीटी इलाके में उनके पिता फल बेचने का काम करते थे। अरविंद की मां की दो महीने पहले कैंसर से मौत हो गई थी। कुछ दिन बाद पिता गोरख सोनकर को भी लकवा मार गया। रिपोर्ट के मुताबिक, परिवार में अरविंद के अलावा पांच बहनें और दो भाई हैं। पिता की बीमारी के बाद उनके अन्य रिश्तेदारों जैसे कि मामा ने उनकी और परिवार की मदद की। अरविंद के मामा ने उनका ठेला संभाला।

➨ दिन रात एक करके उम्मीदों पर उतरा

 

बता दें कि अपने मामा की मदद की बदौलत अरविंद को पढ़ाई के लिए समय मिला और परिवार की उम्मीदों पर खरा उतरा। PCS 2022 की परीक्षा में 86वीं रैंक हासिल करने वाले अरविंद अब DSP बनेंगे। अपने बेटे की सफलता के बारे में बात करते हुए अरविंद के पिता ने कहा, ‘मैं फल बेचता हूं। हमने तो फल का ठेला लगाकर ही बेटे को पढ़ाया। अब हमारे बच्चे का नाम आ गया है तो इससे बड़ी खुशी की बात क्या हो सकती है? हमने कभी नहीं सोचा था कि हमारा लड़का इतना सफल होगा।

 

➨ “फलों के क्रेट की लकड़ी से पकाते हैं खाना”

इस बारे में वहीं अरविंद के भाई गोविंद सोनकर ने कहा कि कोरोना के समय में अरविंद घर आकर फल बेचता था। गोविंद ने कहा, हमारी मेहनत रंग लाई। यह सपना हम बचपन से देखते आए हैं। हमारी मां एक टोकरी में फल बेचा करती थी। दो महीने पहले उनकी मौत हो गई। ग्रेजुएशन के बाद अरविंद दिल्ली आ गए थे। कोरोना काल से वह यहां फल बेच रहे थे। भाई ने आगे कहा कि हम चूल्हे पर खाना बनाते हैं। हम फलों के क्रेट की लकड़ी से खाना बनाते हैं।

 

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