नई दिल्ली: सरकार ने आए दिन होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं को लेकर सख्त कदम उठाए हैं। वहीं अब केंद्र सरकार के साथ-साथ विभिन्न राज्यों की सरकारों के लिए यह धांधली सिर दर्द बन गई है। जिसको रोकने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहें हैं। इस प्रकार की अब धांधली को रोकने के लिए सख्त एक्शन लिया गया है। इस दौरान कल यानी की सोमवार को लोकसभा में प्रतियोगी परीक्षाओं में होने वाली धांधली व गड़बडियों को रोकने के लिए प्रावधान पेश किया गया। इस प्रावधान में परीक्षाओं के दौरान अनियमितता से जुड़ा अपराध करने पर व्यक्ति को तीन से लेकर पांच साल तक की सजा हो सकती है। इसके साथ ही 10 लाख रुपये तक(Education) का जुर्माना भी लगेगा।
दरअसल, अगर प्रतियोगी परीक्षा से जुड़ा संगठित अपराध होता है तो धांधली सम्बन्धित लोगों को 10 वर्षों की सजा हो सकती है। इसके साथ ही एक करोड़ रुपये तक के जुर्माने(Education) का भी प्रावधान है। इन सब चीजों को ध्यान में रखते हुए, केंद्रीय राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह ने विधेयक पेश किया और परीक्षा बिल को अधिक सख्त बनाये जाने के लिए कहा गया है। इस दौरान एक उच्च स्तरीय तकनीकी कमेटी बनाई जाएगी। जो कि एग्जाम प्रोसेस पर कंप्यूटर के जरिए निगाह रखेगी ताकि कोई भी गड़बड़ी न हो सके और यह कमेटी कानून से जुड़ी कुछ(Education) सिफारिशें भी देगी।
बता दें कि सभी राज्यों में होने वाली प्रतियोगी परीक्षाओं में आये दिन धांधली की घटनाएं सुनने में आ रही है। हालांकि गुजरात राज्य ने इस समस्या से निपटने के लिए एक पहल की और यह राज्य(गुजरात) अपना कानून लेकर आया। इसी को ध्यान में रखकर सरकार ने अब केंद्रीय कानून बनाया है क्योंकि ये सभी राज्यों की बहुत बड़ी समस्या बन चुकी है। इस दौरान इसमें संयुक्त प्रवेश परीक्षा और विश्वविद्यालय प्रवेश परीक्षाएं शामिल रहेंगी।
केंद्रीय कानून के तहत एसएससी, यूपीएससी, आईबीपीएस केंद्र सरकार के मंत्रालयों, आरआरबी, विभागों संबंधित स्टाफ और एनटीए को अलावा केंद्र सरकार से जुड़े प्राधिकरण की प्रतियोगी परीक्षाओं को शामिल किया गया है। ऐसा बताया जा रहा है कि इस गड़बड़ी में विद्यार्थीयों से अधिक संगठित माफिया, अपराध और इस धांधली में शामिल लोगों को अधिक दोषी माना जाएगा। यह कारण है कि विद्यार्थी के बजाय सभी माफियाओं के खिलाफ कार्यवाही की जाएगी।
दरअसल, बिल में प्रावधान है कि यदि प्रतियोगी परीक्षा से जुड़ी कोई भी गड़बड़ी मिलती है, तो उसकी जांच डीएसपी या सहायक पुलिस आयुक्त करेंगे। इस दौरान केंद्र सरकार ये जांच केंद्रीय एजेंसी दे सकती है और इस परीक्षा के तहत उम्मीदवारों के बदलाव नॉन एथिकल माना जाएगा।
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