Commerce Graduate Course after 12th for Students: 12वीं के बाद लाखो छात्र अपने करियर के लिए अंडर ग्रेजुएट कोर्स में एडमिशन की तैयारियों में जुट गए हैं. कॉमर्स स्ट्रीम भारत के छात्रों के बहुत लुभाता है. वाणिज्य से 12वीं करने वाले छात्र कॉमर्स सब्जेक्ट से ग्रेजुएशन में एडमिशन लेने की कोशिश में लगे हुए हैं ऐसे में स्टूडेंट्स को हम बता रहे हैं कि फाइनैंशियल एकाउंटिंग, मैक्रो एंड माइक्रो इकोनॉमिक्स, कॉस्ट एंड मैनेजमेंट एकाउंटिंग, ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट, कंपनी लॉ, इनकम टैक्स और ऑडिटिंग, कॉर्पोरेट अकाउंटिग में कौन सा सब्जेक्ट स्नातक में एडमिशन के लिए बेहतर और मददगार साबित होगा.
नई दिल्ली. सभी बोर्डों ने 12वीं के रिजल्ट जारी कर दिए हैं. ऐसे में कई स्टूडेंट ग्रेजुएशन में एडमिशन की तैयारियों के साथ ही बेहतर सब्जेक्ट चुनने की कोशिश में लगे हैं. जिन छात्रों ने कॉमर्स से 12 वीं किया है और वे ग्रेजुएशन में कॉमर्स सब्जेक्ट से ही करना चाहते हैं उन छात्रों के पास फाइनैंशियल एकाउंटिंग, मैक्रो एंड माइक्रो इकोनॉमिक्स, कॉस्ट एंड मैनेजमेंट एकाउंटिंग, ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट, कंपनी लॉ, इनकम टैक्स और ऑडिटिंग, कॉर्पोरेट अकाउंटिग में कौन सा सब्जेक्ट स्नातक में एडमिशन के लिए बेहतर और मददगार साबित होगा.
फाइनैंशियल एकाउंटिंग
इस सब्जेक्ट में एकाउंटिंग और फाइनेंस के बारे में पढ़ाया जाता है. यह एक ऐसा फील्ड है जो किसी कंपनी के फाइनैंशियल लेनदेन का ट्रैक रखती है. मानकीकृत दिशानिर्देशों का उपयोग करके, फाइनेनस डिटेल्स या बैलेंस शीट तैयार करना सिखाते हैं. इसमें लेजर पोस्टिंग एंड ट्रायल बैलेंस, फाइनल अकाउंटस के बारे में भी बताया जाता है.
मैक्रो एंड माइक्रो इकोनॉमिक्स
मैक्रोइकोनॉमिक्स फैसलों का अध्यन है जो कि लोग बिजनेस की कीमतों के आवंटन के संबध में करते है. इसमें नेशनल इंकम डिटरमिनेशन, जीडीपी, मैक्रोइकोनॉमिक्स, माइक्रोइकोनॉमिक्स फ्रेमवर्क, मनी सप्लाई एंड इन्फलेशन का विशलेषण, डिमांड एंड सप्लाई के बारे में सिखाया जाता है.
कॉस्ट एंड मैनेजमेंट एकाउंटिंग
इस सब्जेक्ट में बताया जाता है कि किस तरह आप अपने कंपनी के अकाउंटस को मैनेज कर सकते हैं. इस विषय में लेबर कॉस्ट, बजट, लागत के तरीके, बजट को नियंत्रण रखना सिखाते हैं.
ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट
किसी भी संगठन को सुचारू रूप से कामकाज करने के लिए, उस संगठन में एचआर डिपार्टमेंट का कार्य बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है. कर्मचारियों की सैलरी, एम्पलॉयी रूल्स एंड रेगुलेशन्स, कॉपरेशन और लीव पॉलिसी आदि एचआर डिपार्टमेंट देखता है.
फाइनैंशियल एकाउंटिंग
इस सबजेक्ट में एकाउंटिंग और फाइनेंस के बारे में पढ़ाया जाता है. यह एक ऐसा फील्ड है जो किसी कंपनी के फाइनैंशियल लेनदेन का ट्रैक रखती है. मानकीकृत दिशानिर्देशों का उपयोग करके, फाइनेनस डिटेल्स या बैलेंस शीट तैयार करना सिखाते हैं. इसमें लेजर पोस्टिंग एंड ट्रायल बैलेंस, फाइनल अकाउंटस के बारे में भी बताया जाता है.
मैक्रो एंड माइक्रो इकोनॉमिक्स
मैक्रोइकोनॉमिक्स फैसलों का अध्यन है जो कि लोग बिजनेस की कीमतों के आवंटन के संबध में करते है. इसमें नेशनल इंकम डिटरमिनेशन, जीडीपी, मैक्रोइकोनॉमिक्स, माइक्रोइकोनॉमिक्स फ्रेमवर्क, मनी सप्लाई एंड इन्फलेशन का विशलेषण, डिमांड एंड सप्लाई के बारे में सिखाया जाता है.
कॉस्ट एंड मैनेजमेंट एकाउंटिंग
इस सबजेक्ट में बताया जाता है कि किस तरह आप अपने कंपनी के अकाउंटस को मैनेज कर सकते हैं. इस विषय में लेबर कॉस्ट, बजट, लागत के तरीके, बजट को नियंत्रण रखना सिखाते हैं.
ह्यूमन रिसोर्स मैनेजमेंट
किसी भी संगठन को सुचारू रूप से कामकाज करने के लिए, उस संगठन में एचआर डिपार्टमेंट का कार्य बहुत महत्वपूर्ण हो जाता है. कर्मचारियों की सैलरी, एम्पलॉयी रूल्स एंड रेगुलेशन्स, कॉपरेशन और लीव पॉलिसी आदि एचआर डिपार्टमेंट देखता है.
कॉर्पोरेट अकाउंटिग
इसमें शेयर कैपिटल और डिबेंचर, कंपनियों के अंतिम खाते, कंपनियों, कंपनियों, बैंकिंग और बीमा कंपनियों का समामेलन आदि सिखाते हैं
इनकम टैक्स और ऑडिटिंग
इसमें बताते है कि कैसे बहीखातों की जांच करना है और तय करना है कि उसमें कौन से खर्च दिए जा सकते हैं, जो बुक कीपिंग के लिहाज से जरूरी होते हैं. टैक्स पेमैंट ऐसे ऑडिट के बाद ही इनकम टैक्स एक्ट के तहत लागू रेट से होता है. यह ऑडिट क्वॉलिफाइड चार्टर्ड अकाउंटेंट करता है.
कंपनी लॉ
कॉर्परेट लॉयर का काम कंपनीयों को कानूनी सलाह देने का काम होता है. किसी भी कंपनी को शुरू करने से लेकर उसको सफलता पूर्वक चलाने के लिए कंपनी को कॉर्परेट लॉयर की जरूरत होती है. कॉर्परेट लॉय कंपनी को उनके कानूनी अधिकारों और सीमाओं के बारे में जरूरी सलाह देने का काम करते हैं.