Geography Hons Career Options For 12th Arts Students: भूगोल ऑनर्स कोर्स के बाद स्टूडेंट्स रिमोट सेंसिंग एजेंसी, मैप एजेंसी, खाद्य सुरक्षा, बायोडायवर्सिटी की फील्ड में करियर बना सकते हैं इसके अलावा ट्रांसपोर्टेशन, पर्यावरण विज्ञान, एयरलाइन रूट, शिपिंग रूट प्लानिंग, सैटेलाइट टेक्नॉलजी, जनसंख्या परिषद, मौसम विज्ञान विभाग, एजुकेशन, आपदा प्रबंधन जैसे डिपार्टमेंट्स में करियर शुरू कर सकते हैं.
नई दिल्ली. भूगोल को पृथ्वी का विज्ञान कहा जाता है. इसके अंतर्गत धरती एवं उसके आसपास पाए जाने वाले तत्वों का अध्ययन किया जाता है. सही मायने में देखा जाए तो ज्योग्राफर की भूमिका एक साइंटिस्ट की भांति होती है. पृथ्वी की संरचना तथा उसके अंदर होने वाली हलचलों, नदी-घाटी परियोजना जैसे कार्य करने की जिम्मेदारी ज्योग्राफर की होती है. भूगोल की भी कई शाखाएं (फिजिकल ज्योग्राफी, ह्यूमन ज्योग्राफी, एंवॉयर्नमेंटल ज्योग्राफी) होती है. ट्रांसपोर्टेशन, पर्यावरण विज्ञान, एयरलाइन रूट, शिपिंग रूट प्लानिंग, सिविल सर्विसेज, कार्टोग्राफी (नक्शे बनाना), सैटेलाइट टेक्नॉलजी, जनसंख्या परिषद, मौसम विज्ञान विभाग, एजुकेशन, आपदा प्रबंधन जैसे कई क्षेत्र हैं जहां आप अपना करियर बना सकते हैं। इस फील्ड में करियर बनाना चाहता हैं तो सबसे पहले उसका ज्योग्राफी में इंट्रेस्ट होना चाहिए. साइंस या आर्ट्स बैकग्राउंड वाले स्टूडेंट्स इन कोर्स के लिए एप्लाई कर सकते हैं.
कार्टोग्राफर
कार्टोग्राफर को ज्योग्राफी और एन्वायरनमेंट की नॉलेज होना जरूरी है. इनका काम नक्शा, चार्ट, ग्लोब और मॉडल तैयार करना होता है। न्यूज मीडिया, बुक पब्लिशिंग हाउस, सरकारी एजेंसियों में कार्टोग्राफर रोजगार का अवसर काम पाते हैं. कार्टोग्राफर के कोर्स के लिए डिग्री या डिप्लोमा करके इस फील्ड में एंट्री कर सकते हैं. इसके अलावा ज्योग्राफी, जियोलॉजी, इंजीनियरिंग, कंप्यूटर साइंस, अर्थ साइंस और फिजिकल साइंस के ग्रेजुएट भी इसमें करियर बना सकते हैं
सर्वेयर
इस रूप में प्रोफेशनल्स गणितीय गणनाओं और फील्ड वर्क के आधार पर पृथ्वी की सतह का नक्शा लेते हैं. सर्वे ऑफ इंडिया, स्टेट सर्वे डिपार्टमेंट या अन्य प्राइवेट संस्थानों में काम करने का मौका मिलता है. इस कोर्स के लिए उम्मीदवार को स्टेट बोर्ड ऑफ टेक्निकल एजूकेशन से मान्यता प्राप्त किसी संस्थान से सर्वेक्षण में कम से कम एक वर्ष का डिप्लोमा या संबंधित ट्रेड में आइटीआइ प्रमाण पत्र प्राप्त होना चाहिए.
ड्राफ्टर
इनका काम इंजीनियर व आर्किटेक्चर के साथ-साथ आगे बढ़ता है, खासकर प्लानिंग, हाउसिंग एवं डेवलपमेंट प्रोजेक्ट के दौरान स्थान एवं उसकी उपयोगिता तय करने में।
अर्बन/रीजनल प्लानर
अर्बन/रीजनल प्लानर शहरी क्षेत्रों को विकसित करना भूमि पर बसावट व नई कॉलोनियां विकसित करने का काम करते हैं. इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में गैस प्लांट लगाने या अन्य सर्वे से संबंधित काम इन्हीं के अर्बन/रीजनल प्लानर का ही होता है. वे प्रॉपर्टी मालिक, डेवलपर के साथ मिलकर काम करते हैं.
जीआईएस और रिमोट सेंसिंग
स्थानीय सरकार, देश की प्रमुख एजेंसियों व अन्य सरकारी एजेंसियों सहित प्राइवेट एजेंसियों को जीआईएस स्पेशलिस्ट की जरूरत पड़ती है. विभिन्न उद्योगों में भू-स्थानिक प्रौद्योगिकी के बढ़ते उपयोग में जीआईएस और रिमोट सेंसिंग में रोजगार के अवसरों की संभावना में सुधार हुआ है. मिसाइल और मानव रहित हवाई प्रौद्योगिकी से लेकर शहरी प्रशासन, ई-गवर्नेंस, रिमोट सेंसिंग और यहाँ तक कि विज्ञापन और मार्केटिंग से लेकर हर क्षेत्र भौगोलिक-स्थानिक डेटा पर निर्भर करता है।
क्लाइमैटोलॉजिस्ट
मटीरियोलॉजी व क्लाइमैटोलॉजी का गहरा ज्ञान रखने वालों की इस क्षेत्र में काफी डिमांड है. नेशनल वेदर सर्विस, न्यूज मीडिया, वेदर चैनल व अन्य मौसम से संबंधित एजेंसियों को क्लाइमैटोलॉजिस्ट की जरूरत पड़ती है.
ट्रांसपोर्टेशन मैनेजर
ट्रांसपोर्टेशन मैनेजर के लिए भूगोल का बैकग्राउंड होना जरूरी है. शिपिंग व स्थानीय ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी, लॉजिस्टिक व ट्रांसपोर्टेशन कंपनियों में रोजगार के अवसर मिलते हैं.
एन्वायर्नमेंटल मैनेजर
एन्वायर्नमेंटल मैनेजर का काम वातावरण का प्रभाव, वायुमंडल को स्वच्छ बनानी और मौसम विभाग से जुड़ी जानकारियां देने का होता है. आने वाले समय में इसमें रोजगार की व्यापक संभावनाएं नजर आ रही हैं।
साइंस राइटर
साइंस राइटर के लिए विषय पर अच्छी पकड़ होनी चाहिए. लिखने के शौकिनों के लिए न्यूजपेपर, मैगजीन, टीवी चैनल में कदम-कदम पर अवसर मौजूद हैं. साइंस राइटर फ्रीलांसर राइटर के रूप में भी काम कर सकते हैं.
रिसर्चर/टीचिंग
कई सरकारी, प्राइवेट एजेंसियां और ऐसे संस्थान हैं जो भौगोलिक व मौसम संबंधित सर्वे करवाते रहते हैं. इसमें रिसर्चर की अधिक मांग होती है. इसके अलावा स्कूल-कॉलेजों में टीचिंग के रूप में अवसर मौजूद हैं.
डिसक्लेमर- ये लेख एक्सपर्ट की सलाह नहीं है. बस एक कोशिश है ये बताने की क्या विकल्प हैं. स्टुडेंट् अपने सबसे मजबूत पक्ष को खुद जानते हैं. इसलिए करियर या विषय चुनने में उस सबजेक्ट में रुचि और ताकत को ध्यान में रखकर स्वयं फैसला करें.