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असम: 12वीं की किताब में पढ़ाया जा रहा- गुजरात दंगों के वक्त मूक थे सीएम नरेंद्र मोदी, लेखकों के खिलाफ FIR

2002 के गुजरात दंगों के वक्त सीएम नरेंद्र मोदी की भूमिका पर सवाल उठाने वाला चेप्टर 12वीं की क्लास में पढ़ाया जा रहा है. इसमें लिखा है कि दंगों के वक्त सीएम मोदी मौन थे. यह किताब 2011 से पढ़ाई जा रही है लेकिन अब दो लोगों ने इसके लेखकों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है.

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Book Says CM Modi was silent during 2002 Gujarat riots
  • September 21, 2018 9:57 pm Asia/KolkataIST, Updated 6 years ago

नई दिल्ली. गुजरात के 2002 के दंगों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका का जिक्र करने पर असम पुलिस ने दो लोगों की शिकायत के आधार पर राजनीति विज्ञान की किताब के तीन लेखकों ने खिलाफ एफआईआर दर्ज की है. यह किताब 12वीं के छात्रों को पढ़ाई जाती है. असमिया भाषा में लिखी गई यह किताब 2011 से सर्कुलेशन में है. इस पुस्तक के पेज नंबर 376 पर लिखा है कि साल 2002 में जब गुजरात में दंगे हो रहे थे, साबरमती एक्सप्रेस के की बोगी को गोधरा स्टेशन पर आग लगा दी गई थी जिसमें 57 लोगों की मौत हुई थी उस वक्त तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी चुप थे.

किताब लिखने वाले तीन लेखक दुर्गा कांता शर्मा (पूर्व एचओडी आर्य विद्यापीठ कॉलेज), रफीक जमान (पूर्व एचओडी गोलपारा कॉलेज) और मानस प्रोतिम बरुआ (पूर्व एचओडी साउथ कामरुप कॉलेज) में से दुर्गा कांता शर्मा की कुछ साल पहले मौत हो चुकी है. इस किताब में सीएम मोदी की भूमिका पर चैप्टर को लेकर सौमित्रा गोस्वामी और मानव ज्योति बोरा ने एफआईआर दर्ज कराई थी.

एफआईआर में शिकायतकर्ताओं की तरफ से कहा गया है कि इसके लेखक और पब्लिशर असम बुक डिपो ने गोधरा दंगों पर झूठी जानकारी देकर छात्रों को गुमराह करने का काम किया है. लेकिन सत्य इसके परे है. तथ्य यह है कि मोदी सरकार ने इस मामले की जांच के लिए स्पेशल इंवेस्टिगेशन टीम गठित की थी जिसने सीएम मोदी को इस कांड में क्लीनचिट दी थी. शिकायतकर्ताओं ने कहा कि लेखकों ने गुजरात में तत्कालीन मोदी सरकार पर आरोप लगाया है कि वे “मूक दर्शक” और मुसलमानों के खिलाफ हिंदुओं की “मदद” करने में लिप्त थे. यह जानकारी छात्रों को गुमराह करने वाली है. इस मामले पर लेखकों का कहना है कि किताब में कुछ भी ऑब्जक्शनेबल नहीं है.

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