अलीगढ़, उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में अब सनातन धर्म की पढ़ाई भी होगी. सनातन धर्म की पढ़ाई के लिए प्रस्ताव पास भी हो चुका है और अब सिर्फ इस प्रस्ताव पर मुहर लगना बाकी है. एएमयू में जल्द ही छात्र सानतन धर्म का अब पाठ पढ़ेंगे, इस प्रस्ताव के मुताबिक एएमयू के यूजी […]
अलीगढ़, उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी में अब सनातन धर्म की पढ़ाई भी होगी. सनातन धर्म की पढ़ाई के लिए प्रस्ताव पास भी हो चुका है और अब सिर्फ इस प्रस्ताव पर मुहर लगना बाकी है. एएमयू में जल्द ही छात्र सानतन धर्म का अब पाठ पढ़ेंगे, इस प्रस्ताव के मुताबिक एएमयू के यूजी और पीजी में सनातन धर्म का कोर्स शुरू किया जाएगा. अलीगढ मुस्लिम विश्वविद्यालय के शताब्दी कार्यक्रम में वर्चुअल समारोह के दौरान पीएम मोदी ने इसका प्रस्ताव रखा था.
जानकारी के मुताबिक, एएमयू के इस्लामिक स्टडीज डिपार्टमेंट ने इसकी तैयारी भी शुरू कर दी है. वहीं, विभाग की ओर से ये कोर्स यूजी और पीजी में शुरू किया जा रहा है।कोर्स का उद्देश्य छात्रों को सभी मजहबों की बारीकियां सिखाना है. एएमयू के शताब्दी कार्यक्रम में वर्चुअल समारोह के दौरान पीएम मोदी ने एएमयू के छात्रों को भारतीय संस्कृति से रूबरू कराने की बात कही थी.
बताया जा रहा है कि अगले सेशन से इसकी पढ़ाई शुरू हो जाएगी, बरहाल इसके सिलेबस पर काम किया जा रहा है. कम्प्रेटिव रिलीजन नाम से इस कोर्स को शुरू किया जाएगा, इस कोर्स के जरिए छात्रों को सनातन धर्म का पाठ पढ़ाया जाएगा।इतना ही नहीं छात्रों को अन्य धर्मों के बारे में तुलनात्मक रूप से विस्तार से बताया जाएगा.
आपको बता दें कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी अलीगढ़ शहर के 467.6 हेक्टेयर के क्षेत्र में फैली हुई है, एएमयू में सात बड़े कॉलेज हैं और अधिकतर स्टाफ और छात्र यूनिवर्सिटी में रहते हैं. एमयू में छात्रों के लिए 80 होस्टल वाले 19 हॉल ऑफ रेजिडेंस हैं, हर हॉल में रीडिंग रूम , लाइब्रेरी, स्पोर्ट्स क्लब, आदि कई सुविधाएं प्रदान की गई है. पिछले साल ही एएमयू का क्यूएस वर्ल्ड यूनिवर्सिटी रैंकिंग में 801 स्थान मिला था और नेशनल इंस्टीट्यूशनल रैंकिंग फ्रेमवर्क में भारत में दसवां स्थान मिला था.
एएमयू को भारतीय संविधान की सातवीं अनुसूची के तहत राष्ट्रीय महत्व का संस्थान माना गया है. 1967 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपने फैसले में स्पष्ट किया कि एएमयू एक अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान नहीं है,लेकिन बाद में इस पर अलग अलग फैसले आए. 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने इसे फिर अल्पसंख्यक शिक्षण संस्थान का दर्जा दिया, जबकि शुरू से अब तक एएमयू में दूसरे धर्मों के छात्र भी पढ़ते आ रहे हैं.
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