लखनऊ: उत्तर प्रदेश के युवाओं को जल्द ही खुशखबरी मिल सकती है। संविदा और आउटसोर्सिंग की रिक्तियों की घोषणा हो सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि उपचुनाव से पहले इन रिक्तियों की घोषणा हो सकती है। इतना ही नहीं आउटसोर्स की भर्तियों में भी आरक्षण की घोषणा हो सकती है। […]
लखनऊ: उत्तर प्रदेश के युवाओं को जल्द ही खुशखबरी मिल सकती है। संविदा और आउटसोर्सिंग की रिक्तियों की घोषणा हो सकती है। मीडिया रिपोर्ट्स में यह भी कहा गया है कि उपचुनाव से पहले इन रिक्तियों की घोषणा हो सकती है। इतना ही नहीं आउटसोर्स की भर्तियों में भी आरक्षण की घोषणा हो सकती है। इसको लेकर तैयारियां जोरों पर चल रही हैं।
आपको बता दें कि फिलहाल यूपी में आउटसोर्सिंग की नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान नहीं है, लेकिन जल्द ही आरक्षण की घोषणा हो सकती है। इसके तहत ओबीसी वर्ग के लिए 27 फीसदी, एससी वर्ग के लिए 21 फीसदी, और एसटी वर्ग के लिए 2 फीसदी आरक्षण तय हो सकता है।
यूपी सरकार इन दो तरह से नौकरियों पर जोर दे रही है। जैसा कि नाम से ही पता चलता है कि संविदा भर्ती कॉन्ट्रैक्ट के आधार पर होती है, यानी यह एक निश्चित अवधि के लिए होती है और कॉन्ट्रैक्ट पूरा होने के बाद खत्म हो जाती है। इसी तरह आउटसोर्सिंग का मतलब है कि सरकार किसी बाहरी कंपनी से काम करवाती है।
ये कंपनियां या थर्ड पार्टी सरकार के लिए कर्मचारियों की व्यवस्था करती हैं। इनके चयन से लेकर वेतन और संविदा तक सारा काम एक तीसरे पक्ष की देखरेख में होता है। सरकार को अपना काम इसी तीसरे पक्ष के जरिए पूरा करना होता है, जिसके लिए एक तय भुगतान किया जाता है। ये नौकरियां स्थायी नहीं होती हैं और काम या कार्यकाल पूरा होने पर खत्म हो जाती हैं। इसे स्थायी सरकारी नौकरी नहीं कहा जा सकता।
इस बार कॉन्ट्रैक्ट और आउटसोर्सिंग के तहत कितने पद निकाले जाएंगे, यह तो वैकेंसी निकलने के बाद ही साफ हो पायेगा लेकिन अगर मौजूदा समय की बात करें तो रिपोर्ट बताती है कि 4 लाख से ज्यादा कर्मचारी संविदा और आउटसोर्सिंग पर हैं। इनमें से ज्यादातर चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग, नगर विकास विभाग, पंचायत राज विभाग आदि में हैं।