7th pay commission : 7 वें वेतन आयोग की सिफारिशों से ज्यादा न्यूनतम वेतन और फिटनेस फैक्टर की मांग कर रहे लगभग 10 मिलियन से ज्यादा केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों की मांगों को अभी तक पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के कारण पूरा नहीं किया जा सकता है, लेकिन उम्मीद है कि उनके लिए अच्छी खबर जल्द ही आने की संभावना है.
नई दिल्ली. 7th pay commission : देश के लगभग 10 मिलियन केंद्रीय सरकारी कर्मचारी काफी लंबे समय से 7 वें वेतन आयोग से परे न्यूनतम वेतन और फिटनेस फैक्टर की मांग कर रहे हैं. लेकिन मोदी सरकार पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव के कारण आचार संहिता लगे होने के कारण इनकी मांगों को पूरा नहीं कर सकती है. वित्त मंत्रालय के उच्च सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार 13 दिसंबर के बाद केंद्रीय कर्मचारियों की मांगों को लेकर कोई बड़ा ऐलान कर सकती है.
कर्मचारियों ने मांग की है कि केंद्र सरकार फिटनेस फैक्टर में बढ़ोत्तरी करें और न्यूनतम मूल वेतन को 18000 से बढ़ाकर 26000 रुपये कर दें. बता दें कि 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के आधार पर केंद्रीय कर्मचारियों का मूल वेतन 2.57 फिटनेस फैक्टर के आधार पर 18000 रुपए तय किया गया था. कर्मचारी की मांग है कि इसे बढ़ाकर 26000 रुपए कर दिया जाएं.
7 वें वेतन आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के अनुसार न्यूनतम मजदूरी के रूप में 18,000 रुपये तय किया गया था, जबकि उच्चतम स्तर के अधिकारियों का मूल वेतन 2,50,000 रुपये प्रति माह माना गया था. कर्मचारियों की मांग है कि उनके और अधिकारियों के वेतन में काफी अंतर है. ये वेतन असंतोषजनक फिटनेस फैक्टर के अनुसार तैयार किया गया था.
अगर मोदी सरकार कर्मचारियों की मांग के अनुसार और 7 वें वेतन आयोग द्वारा की गई सिफारिशों से ज्यादा वेतन की मांगों को 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों के बाद लागू नहीं करती है तो सवाल ये है कि इसकी घोषणा की जाने वाली अगली तारीख क्या होगी? यह सैकड़ों कर्मचारियों के दिमाग में सवाल है. वहीं माना जा रहा है कि सरकार अब दिसंबर 2018 में इसका ऐलान नहीं करती है तो 26 जनवरी, 2019 को सरकार केंद्र सरकार को इसका ऐलान करना पडेगा. क्योंकि 2019 में देश में होने वाले आम चुनाव और कई राज्यों के विधानसभा चुनावों को देखते हुए केंद्र सरकार कोई रिस्क नहीं ले सकती है.
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