नई दिल्ली. नरेंद्र मोदी सरकार ने बड़ा फैसला करते हुए लाखों केंद्रीय कर्मचारियों को अपनी पेंशन योजना में बदलाव का एक मौका दिया है. हालांकि, यह मौका सिर्फ उन लोगों को मिलेगा जिनकी भर्ती 1 जनवरी 2004 से पहले हुई लेकिन उन्होंने नौकरी जॉइन बाद में की. ये सभी कर्मचारी एनपीएस (National PensionSystem) से ओपीएस ( OLD Pension Scheme) में अपना बदलाव करवा सकते हैं. जिसके बाद इन सभी कर्मचारियों को सीसीएस पेंशन नियम 1972 के अनुसार सुविधाएं मिलेंगी.
सेबी के एक्सपर्ट जितेंद्र सोलंकी इस मामले में कहते हैं कि जो एनपीएस स्कीम है वह न तो फिक्स है और न ही केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी से इसका कोई लिंक है. वहीं पुरानी पेंशन स्कीम के तहत कर्मचारियों की तनख्वाह से पेंशन लिंक होती है. साथ ही पुरानी पेंशन स्कीम में आपका पैसा तय होता है. यानी इतनी रकम आपको रिटायरमेंट के बाद मिलेगी ही मिलेगी. जबकि नई पेंशन स्कीम ऐसा कोई भी प्रावधान नहीं है जिससे आप पक्का हो सकें कि इतनी रकम या लाभ आपको मिलेगा.
आपको बता दें कि बीजेपी सांसद और कार्मिक लोक विभाग और पेंशन मामलों के राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने इस मामले में बताया था कि केंद्र के आदेश के बाद कर्मचारियों को पेंशन प्रणाली के दायरे में लाया जाएगा. जितेंद्र सिंह ने कहा कि ऐसे सभी कर्मचारी जिनकी नियुक्ति 1 जनवरी 2004 से पहले हुई लेकिन नौकरी बाद में शुरू की तो वे सभी 31 मई 2020 तक पेंशन स्कीम का हिस्सा बन सकते हैं.
जितेंद्र सिंह के अनुसार, अगर वे ऐसा नहीं कर पाते हैं तो उन्हें फिर नेशनल पेंशन स्कीम के दायरे में ही रहना होगा. मोदी सरकार ने इस आदेश के जरिए उस बड़ी संख्या के कर्मचारियों को राहत दी जिनका कहना था कि उनकी नौकरी में नियुक्ति की देरी सरकार की वजह से हुई थी.
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