नई दिल्ली. 7th Pay Commission: देश कें सवा करोड़ से अधिक केंद्रीय कर्मचारी और पेंशनभोगी पिछले काफी समय से वेतन में वृद्धि की मांग कर रहे हैं. अपनी मांगों को लेकर कर्मचारी संगठनों ने मई-जून में मोदी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था. लेकिन अब कर्मचारियों की मांगें पूरी होती दिख रही हैं. वित्तमंत्रालय के सूत्रों के अनुसार केंद्र सरकार 5 राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों के परिणाम के बाद या 26 जनवरी 2019 के मौके पर इसका ऐलान कर सकती है. देखते हैं कि कौन से वो कारण हैं जिनके कारण कर्मचारियों की वेतन वृद्धि तय मानी जा रही है.
1- लोकसभा चुनाव 2019 और कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव
अगले से 2019 में देश में आम चुनाव होने वाले हैं. इसके साथ ही 5-6 राज्यों में विधानसभा चुनाव भी होने वाले हैं. देश के आधे से अधिक केंद्रीय कर्मचारी इन्हीं राज्यों से आते हैं. जिसके कारण माना जा रहा है कि मोदी सरकार चुनावी साल में देश के लगभग सवा करोड़ से अधिक परिवारों को नाराज नहीं करना चाहती है.
2- सरकार के खिलाफ माहौल
मोदी सरकार 2014 में आम जनता से जुड़े कई चुनावी वादों के कारण प्रचंड़ बहुमत पा सकी थी. लेकिन केंद्र सरकार के कार्यकाल के साढ़े 4 साल बीत चुके हैं. जमीनी स्तर पर उनका कोई वादा पूरा होता नहीं दिख रहा है. इन मुद्दों में प्रमुख तौर पर कालाधन, बेरोजगारी, महंगाई और भ्रष्टाचार आदि शामिल हैं. जिससे देश की आम जनता सीधे तौर पर प्रभावित होती है. इन मुद्दों को लेकर जनता में मोदी सरकार के खिलाफ आक्रोश का माहौल है. ऐसे में चुनावी सीजन में मोदी सरकार देश के जनता को नाराज करने का रिस्क नहीं ले सकती है.
3- विदेशी निवेश में वृद्धि
पिछले महीने विदेशी निवेश में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई थी. इसका मतलब है कि भावनाएं सकारात्मक हैं और इससे सरकार के खजाने में भारी मात्रा में धनराशि बढ़ सकती है. इसका इस्तेमाल केंद्र सरकार केंद्रीय कर्मचारियों की सैलरी बढ़ाने में कर सकती है.
4- रुपया और कच्चे तेल की कीमत
पिछले दिनों रुपये में थोड़ी मजबूती वापस लौटी है. जिसके कारण सरकार सकारात्मक है. यह निश्चित रूप से सरकार को आगे बढ़ने में मदद कर सकता है. इसके साथ ही कच्चे तेल की कीमतें भी गिर रही हैं. जिससे सरकार का पैसा भी बच रहा है. इसका प्रयोग केंद्र सरकार कर्मचारियों के वेतन वृद्धि में भी कर सकती है.
5- वित्त व्यवस्था में सुधार
सरकारी अधिकारियों का कहना है कि पिछले दिनों देश की वित्तीय स्थिति में सुधार हुआ है. इससे पहले वेतन वृद्धि से संबंधित मुद्दों को रोक दिया गया था क्योंकि वित्तीय स्थिति खराब थी. जिसके कारण सरकार को कुछ राहत मिली है. यही कारण है कि 7 वें वेतन आयोग की सिफारिशों से ज्यादा वेतन वृद्धि पर एक बार फिर से विचार-विमर्श शुरू हो गया है.
बता दें कि केंद्र सरकार ने 1 जनवरी 2016 को 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार कर्मचारियों का वेतन निर्धारित किया था. सरकार ने कर्मचारियों का फिटनेस कारक 2.57 गुणा निर्धारित किया था. इस आधार पर कर्मचारियों का बेसिक वेतन 18,000 रुपये तय हुआ था. अब कर्मचारियों की मांग है कि इसे बढ़ाकर 3.68 गुना किया जाए जिसके परिणामस्वरूप मूल न्यूनतम वेतन 26,000 रुपये होगा. वहीं माना जा रहा है कि सरकार फिटनेस कारक को बढ़ाकर 2.85 गुना करने जा रही है, जिसके कारण बेसिक सैलरी 20000 से 21000 के बीच हो जाएगी.
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