नई दिल्ली. 7th Pay Commission, 7th CPC Latest News Today: मध्य प्रदेश सरकार ने हाल ही में सातवें वेतन आयोग की सिफारिश के तहत राज्य सरकार के कर्मचारियों के लिए महंगाई भत्ते (डीए) और महंगाई राहत (डीआर) में तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की थी. लोकसभा चुनावों की घोषणा से ठीक पहले डीए और डीआर को सरकारी कर्मचारियों के लिए बढ़ाने वाला मध्य प्रदेश केंद्र सरकार के नक्शेकदम पर चलने वाला छठा राज्य था.
मध्य प्रदेश सरकार ने सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों के तहत सात लाख से अधिक कर्मचारियों के लिए डीए को तीन प्रतिशत बढ़ा दिया है. राज्य के वित्त विभाग ने इस साल जनवरी से डीए बढ़ाने का आदेश दिया है, जिससे सरकारी खजाने पर 1,647 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा. केंद्र सरकार ने लोक सभा चुनावों की घोषणा से ठीक पहले अपने कर्मचारियों और पेंशनरों के लिए डीए और डीआर में तीन प्रतिशत की बढ़ोतरी की घोषणा की थी.
छह राज्यों ने हाल ही में अपने कर्मचारियों के लिए डीए और डीआर में 9 प्रतिशत से 12 प्रतिशत की वृद्धि की है. इनमें उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखंड, राजस्थान, जम्मू और कश्मीर, ओडिशा शामिल हैं. इसमें से यूपी, बिहार, उत्तराखंड को मिलाकर कुल पांच राज्यों में एनडीए सरकार का शासन है, जबकि, राजस्थान में अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार है. इनके अलावा जम्मू और कश्मीर वर्तमान में राष्ट्रपति शासन के अधीन है. ओडिशा नवीन पटनायक के नेतृत्व वाली बीजेडी सरकार द्वारा शासित है.
डीए, महंगाई भत्ता और डीआर, महंगाई राहत में नवीनतम बढ़ोतरी से बिहार सरकार को 1,100.94 करोड़ रुपये का अतिरिक्त बिल मिलेगा और इससे लगभग चार लाख मिलियन से अधिक सरकार को लाभ होगा. राजस्थान सरकार के लिए, इस पर 1,435 करोड़ रुपये का अतिरिक्त वित्तीय बोझ पड़ेगा और इससे कुल मिलाकर 8.5 लाख कर्मचारी और 3.5 लाख पेंशनभोगी लाभान्वित होंगे.
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Good
कर्मचारियों को तो बहुत रुपये मिलते हैं किसी किसान को देखो जो भूख प्याश सहन करके धान पैदा करता है उसको को तो अच्छी कीमत भी भी नही मिलती उसका घर देखो तो टूटी झोपड़ी में रहता बरसात में टपकती ओर न उसको ओढ़ने के लिये रजाई मिलती न उसके पास कूलर पंखा है वोट आते ही किसान याद आते हैं और पांच ससाल तक कोई नही पूछता है अगर देश को आगे बढ़ाना है तो किशान को विकसित करो बेचारे की की तो कोई नही भगवान भी रूठ जाता और नेताभी नही सुनते यहां तक कर्मचारी तो रिश्वत बिना कोई काम नही करते में मेरी खुद की दास्तान कह रहा हु वह बरचार ऋण से उभर भी नही सकता बैंक वाले ऋण नही देते vo बेचारा साहूकारों से तीन से पांच रुपये सैकड़ा से उदार लेता है और कभी भी नही चुका पाता और उसका खेत 1बीघा बिक जाता हैं कर्मचारी तो ac कूलर में बैठे रहते हैं पगार भी बहुत ज्यादा है देश को विकसित करना है तो किसान को ऊपर उठाओ किशान सबसे बड़ा वोट बैंक नकी हिन्दू1मुस्लिम यह जो मेने लिखा वो मेरे जैसे कई किशान भाई कि की हकीकत है ये आवाज ऊपर तक पहुचाओ क्योकि मेरे जेसो की कोई सुनने वाला नही वहां बैठे रहने से कुछ नही होगा वास्तविक तो गांवो में जाकर पता करो धन्यवाद