नई दिल्ली : ऑल इंडिया काउंसिल फॉर टेक्निकल एजुकेशन (एआईसीटीई) देश के 800 इंजीनियरिंग कॉलेजों को बंद करने की प्लानिंग में है. साल 2018 तक देश के 800 इंजीनियरिंग कॉलेज बंद हो सकते हैं.
एआईसीटीई के चेयरमैन अनिल दत्तात्रेय सहस्त्रबुद्धे ने एक अंग्रेजी वेबसाइट को बताया है कि इन कॉलेजों की काफी सीटें खाली जा रही हैं, इसलिए इन्हें बंद किया जा सकता है. करीब 150 कॉलेज एआईसीटीई के कड़े नियमों के चलते हर साल बंद हो जाते हैं.
काउंसिल के नियमों के मुताबिक ऐसे कॉलेज जिनके पास उचित इंफ्रास्ट्रक्चर नहीं है या फिर ऐसे कॉलेज जिनमें लगातार 5 सालों तक 30 फीसदी से कम एडमिशन हुए हों, उन्हें बंद कर दिया जाता है.
एआईसीटीसी की वेबसाइट के मुताबिक 2014-15 से 2017-18 के बीच 410 से भी ज्यादा कॉलेजों को प्रगतिशील बंद होने को मंजूरी दी गई है. ऐसे सबसे ज्यादा यानी 20 कॉलेज तो केवल कर्नाटक में ही हैं. साल 2016-17 में सबसे ज्यादा कॉलेजों को बंद करने की मंजूरी दी गई है.
तेलंगाना, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा, गुजरात और मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा कॉलेज हैं, जिन्हें प्रगतिशील बंद होने को मंजूरी दी गई है.
क्या है प्रगतिशील बंद ?
प्रगतिशील बंद का मतलब है कि कॉलेज में नए एकेडमिक इयर में फर्स्ट इयर के लिए स्टूडेंट के एडमिशन लेने पर रोक लगा देना. हालांकि जो स्टूडेंट्स पहले से ही कॉलेज में पढ़ रहे हैं उनकी पढ़ाई जारी रखी जाएगी.