नई दिल्ली/लखनऊ : यूपी में शिक्षा मित्रों पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पौने दो लाख शिक्षा मित्रो को निराशा हाथ लगी है. जिसके चलते यूपी के कई जिलों में शिक्षा मित्र विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. पूर्वी और पश्चिमी यूपी के कई जिलों में लाखों की संख्या में शिक्षा मित्र सड़कों पर उतर गए हैं. कुछ जिलों में तोड़-फोड़ की खबरें भी आ रही है.
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश में 1.72 लाख शिक्षामित्रों के समायोजन को अवैध मानते हुए रद्द कर दिया है. हालांकि थोड़ी राहत देते हुए कहा है कि समायोजित किए गए 1.78 लाख शिक्षामित्र नहीं हटाए जाएंगे. शिक्षामित्रों को शिक्षक पात्रता परीक्षा पास करने बाद दो भतिर्यों के मौका दिया जाएगा. अगर शिक्षामित्र इन दो भर्तियों में जरुरी अहर्ताएं पास कर जाते हैं तो सहायक शिक्षक बन जाएंगे.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद शिक्षामित्रों ने सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डालने का फैसला किया है. उत्तर प्रदेश शिक्षामित्र संघ के पदाधिकारियों के अनुसार वो इस मामले में सुप्रीम कोर्ट में पुनर्विचार याचिका डालेंगे और संविधान पीठ में मामले की सुनवाई करने की मांग करेंगे.
आदर्श शिक्षा मित्र वेलफेयर एसोसिएशन के प्रदेश अध्यक्ष जितेन्द्र शाही ने कहा कि फैसला दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि अब राज्य सरकार चाहे तो वह नियम बनाकर शिक्षामित्रों को पूर्ण अध्यापक का दर्जा दे सकती है. अब हमारी निगाहें सरकार की तरफ है. यदि सरकार कोई सकारात्मक घोषणा नहीं करती तो हम बुधवार से कार्य बहिष्कार करेंगे.
शाही ने कहा कि अगर तमिलनाडू सरकार जलीकट्टू के आयोजन के लिए बिल ला सकती है, तो राज्य की योगी सरकार शिक्षामित्रों को समायोजित करने के लिए भी सरकार विशेष प्राविधान कर सकती है.
मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने शिक्षामित्रों के समायोजन के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को सही माना था. न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल व न्यायमूर्ति यूयू ललित की पीठ ने हाई कोर्ट के विभिन्न आदेशों को चुनौती देने वाली याचिकाओं का निपटारा करते हुए सुनाया.
बता दें कि इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सितंबर 2015 में इन शिक्षामित्रों के सहायक शिक्षक के तौर पर समायोजन को रद्द कर दिया था. इसके बाद इसे सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई थी. कोर्ट ने मई में सुनवाई पूरी करके अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.