नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी के विभिन्न पाठ्यक्रमों के लिए 85 प्रतिशत सीटें दिल्ली के छात्रों के लिए आरक्षित करने का प्रस्ताव दिल्ली विधानसभा ने गुरुवार को पारित कर दिया है. विधानसभा के विशेष सत्र के दूसरे दिन सदन ने ध्वनिमत से यह प्रस्ताव पारित कर दिया.
इससे पहले दिल्ली के शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया ने डीयू अधिनियम 1922 में संशोधन संबंधी दो प्रस्ताव पेश किए थे. जिनमें से पहला प्रस्ताव 85 प्रतिशत सीटें दिल्ली के छात्रों के लिए आरक्षित करने से जुड़ा था. ताकि दिल्ली के स्कूलों से पास होने वाले लगभग 2 लाख छात्रों के हितों को ध्यान रखा जा सके. इसके साथ ही दूसरा प्रस्ताव किसी भी कॉलेज को डीयू से संबद्ध करने का प्राधिकार दिल्ली सरकार को सौंपने के संबंध में था.
28 कॉलेज
इसके बाद प्रस्ताव में डीयू अधिनियम में संशोधन से जुड़े दोनों मुद्दे केन्द्र सरकार, उपराज्यपाल और डीयू प्रशासन के आगे उठाने का संकल्प पारित किया गया है. जिसमें कहा गया कि डीयू के 28 कॉलेज ऐसे हैं जिनका दिल्ली सरकार आंशिक या पूर्ण वित्तपोषण करती है. इसके अलावा इन कॉलेजों में दाखिला लेने के लिए दिल्ली के छात्र ही संघर्ष करते दिखाई दे रहें हैं जबकि दिल्ली के करदाताओं के पैसे से ही ये कॉलेज चल रहे हैं.
कानूनी विकल्प
अब सदन में प्रस्ताव पारित हो गया है जिसमें कहा गया है कि दिल्ली में महाविद्यालयों को डीयू के अलावा किसी दूसरे विश्वविद्यालय से संबद्ध करने का कानूनी विकल्प अस्तित्व में नहीं है. जिसके चलते डीयू अधिनियम में संशोधन करके किसी दूसरे विश्वविद्यालय से नये कॉलेजों को संबद्ध करने का कानूनी विकल्प सरकार को दिया जा सकता है. जिसको ध्याम में रखते हुए सरकार ने विधानसभा के माध्यम संसद से कानून में संशोधन करने की अपील की है.