नई दिल्ली : दुनिया में आजकल काम और छुट्टियों के कॉन्सेप्ट बदलते जा रहे हैं. अब पहले वाली धारणाएं टूटती जा रही हैं कि बच्चे की देखभाल या फिर उनका लालन-पालन सिर्फ उनकी मां ही करेंगी. आजकल के पिता अपने बच्चों के साथ ज्यादा से ज्यादा समय बिताना चाहते हैं.
यही वजह है कि दुनिया भर में अब पैटरनिटी लीव की जरूरत महसूस होने लगी है. दरअसल, पैटरनिटी लीव के मायने उन फायदेमंद छुट्टियों से हैं, जो बच्चे के जन्म के वक्त या उसके तुरंद बाद कंपनी की तरफ से पिता को मुहैया कराई जाती है.
अब लोग ये मानने लगे हैं कि नवजात बच्चे के लालन-पालन का जिम्मेवारी माता-पिता दोनों पर होती है. यही वजह है कि अब पिता बनने वाले युवा अपने बच्चों की देखभाल और परवरिश में बड़ी भूमिका निभाना चाहते हैं. इसी चाहत ने दुनिया भर में पेड पैटरनिटी लीव के कॉन्सेप्ट को मजबूती दी है. बता दें कि बच्चे के जन्म या फिर उसे गोद लेने के मौके पर पुरूष कर्मचारियों को दी जाने वाली छूट्टी को ही पैटरनिटी लीव के रूप में जाना जाता है.
हालांकि, पैटरनिटी लीव का कॉन्सेप्ट हर कंपनी में अलग-अलग होता है. आपको जानकर आश्चर्य होगा कि दुनिया की कई नामी बड़ी कंपनियां अपने कर्मचारियों को पेड पैटरनिटी लीव देती है. क्योंकि इन कंपनियों को इस बात का एहसास है कि कंपनी तभी सफल होती है, जब उसके कर्मचारी खुश होते हैं. फेसबुक की सीओओ शेरिल सैंडबर्ग ने भी इस बात को स्वीकार किया है कि कंपनी की सफलता कर्मचारियों की कार्य क्षमता पर ही निर्भर करता है.
अगर आप भी कर्मचारी हैं तो आपको जानना जरूरी है कि दुनिया में कौन-कौन सी ऐसी कंपनियां हैं, जो अपने कर्मचारियों को पेड पैटरनिटी लीव देती है. यहां 11 बड़ी कंपनियों के आंकड़ों से समझ सकते हैं कि किस तरह से अब पेड पैटरनिटी लीव का कॉन्सेप्ट फल-फूल रहा है.
- नेटफ्लिक्स- 52 सप्ताह
- ट्विटर- 20 सप्ताह
- फेसबुक – 17 सप्ताह
- Change.org- 18 सप्हाह
- एडॉब- 16 सप्ताह
- माइक्रोसॉफ्ट- 12 सप्ताह
- याहू- 8 सप्ताह
- गूगल – 7 सप्ताह
- एप्पल- 6 सप्ताह
- अमेजन- 6 सप्ताह
- कोका कोला- 6 सप्ताह
बता दें कि दुनिया में ऐसे बहुत से कंपनियां हैं, जो अपने कर्मचारियों के पिता बनने की सूरत में उन्हें सैलरी के साथ छुट्टी नहीं देते. बावजूद इसके पिता बनने की सूरत में कर्मचारियों को छुट्टी लेनी पड़ती है. कई बार तो छुट्टी के लिए उनकी सैलरी काट ली जाती है. ऐसे हालात में बहुत कम लोग ही पिता बनने अपनी बीवी और बच्चे के साथ समय बीता पाते हैं. मगर अब कंपनियां पुरुषों की इस जरूरत को समझने लगी हैं.
यही वजह है कि हाल ही में ये खबर आई थी कि फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग भी 2 महीने की पैटरनिटी लीव पर जाने वाले हैं. जुकरबर्ग ने कहा है कि वो अपनी पत्नी और बेटी के साथ क्वालिटी टाइम बिताने के लिए दो महीने की पेड छुट्टी पर जा रहे हैं.
कंपनियां पैटरनिटी लीव के अलावा पेड शोक अवकाश और केयर लीव भी देती है. हाल ही में फेसबुक के नक्शे कदम पर चलते हुए मास्टरकार्ड ने अपने कर्माचारियों को परिवार में किसी की मौत होने पर सदमे से उबरने के लिए 20 दिन तक की पेड छुट्टी देने का फैसला किया है. ये फैसला इसलिए भी अहम है क्योंकि इससे कर्मचारियों को दुख से उबरने में मदद मिलेगी.
खास बात ये है कि फेसबुक से शुरू हुई इस पॉलिसी पर अमल करने वाली मास्टरकार्ड कंपनी के सीईओ अजयपाल सिंह बंगा भारतीय नागरिक हैं और उन्हें नरेंद्र मोदी सरकार ने 2016 में पद्मश्री सम्मान से नवाजा था. पुणे में जन्मे बंगा ने दिल्ली के सेंट स्टीफेंस से बीए और आईआईएम, अहमदाबाद से मैनेजमेंट की पढ़ाई की है. मास्टरकार्ड में 11 हजार से ज्यादा जबकि फेसबुक में करीब 19 हजार लोग काम करते हैं.
इसके अलावा फेसबुक सरीखी कंपनियां बीमार परिजनों की देखभाल के लिए भी अपने कर्मचारियों को पेड लीव मुहैया कराती है. फेसबुक में कर्मचारियों को हर साल परिवार में गंभीर बीमारी से जूझ रहे सदस्यों की देखभाल के लिए 6 हफ्ते तक की पेड छुट्टी मिलती है. इसके अलावा कर्मचारी परिवार के किसी सदस्य को बुखार और हल्की बीमारी के दौरान 3 दिन की पेड छुट्टी भी ले सकते हैं.
फेसबुक के अलावा करीब सवा लाख कर्मचारियों वाली माइक्रोसॉफ्ट अपने स्टाफ को गंभीर रूप से बीमार परिवार के सदस्य की देखभाल के लिए साल में 4 हफ्ते की पेड छुट्टी देती है. इतना ही नहीं, नामी सॉफ्टवेयर कंपनी एडोबी सिस्टम्स भी अपने कर्मचारियों को परिवार के अंदर बीमारी से परेशान लोगों की केयर करने के लिए हर साल 4 हफ्ते तक पेड छुट्टी देती है. एडोबी में करीब-करीब 16 हजार लोग काम करते हैं.
खास बात ये है कि अमेरिकी पारिवारिक मेडिकल लीव कानून के तहत अमेरिकी कर्मचारियों को परिवार के बीमार लोगों की देखभाल के लिए साल में 12 हफ्ते तक की छुट्टी का प्रावधान है लेकिन ये छुट्टियां कानूनन पेड नहीं हैं. मतलब आप छुट्टी तो ले सकते हैं लेकिन छुट्टी का पैसा देना, ना देना, कंपनियों पर निर्भर है.
भारत में पैटरनिटी लीव पर उस वक्त खूब बवाल मचा था, जब महिला बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने कहा था कि इसका उपयोग पुरुष छुट्टियां मनाने के लिए करेंगे. मगर हकीकत ये है कि इस बात से कोई भी इनकार नहीं कर सकता कि सार्वजनिक से लेकर प्राइवेट हर सेक्टर के कर्मचारियों की जरूरत बन गई है पैटरनिटी लीव. कभी-कभी स्थिति तो ऐसी होती है कि सैलरी कट जाने और छुट्टी न मिल पाने के कारम महीनों तक पुरुष अपने बच्चे और बीवी का मुंह तक नहीं देख पाते हैं.
मगर उम्मीद की जानी चाहिए कि बड़ी कंपनियों के नक्शे कदम पर चलते हुए और भी कंपनियां अपने कर्मचारियों को हर तरह के पेड लीव दे सकेंगे. कारण कि ये सत्य है कि जब तक कर्मचारी दिल से खुश नहीं होता, तब तक वो काम में अपना शत प्रतिशत नहीं दे पाता है.