मैट्रिक रिजल्ट से पहले बिहार में बदला मन्नत मांगने का ट्रेंड, सब कराना भगवान पर ‘टॉप’ नहीं

पटना : परीक्षाओं में टॉप करने के लिए स्टूडेंट्स न जाने क्या-क्या जतन करते हैं. पढ़ाई करते हैं, भगवान से मन्नतें मांगते हैं, मगर बिहार बोर्ड के मैट्रिक के बच्चों का हाल कुछ जुदा सा दिख रहा है. पिछले साल रूबी राय प्रकरण और इस बार इंटर आर्ट टॉपर मामले के बाद बिहार मैट्रिक के बच्चों की हालत ऐसी है कि वो भगवान से टॉप न कराने की मन्नत मांग रहे हैं.
बिहार में जिस तरह से टॉपर्स को लेकर पिछले कुछ सालों से सवाल उठ रहे हैं और उनका मीडिया ट्रायल किया गया, उन सबको देखते हुए बिहार बोर्ड के बच्चे भगवान से सिर्फ पास होने की ही दुआ कर रहे हैं. कल तक जो बच्चे टॉप होने के लिए भगवान को लड्डू और मिठाई चढ़ाया करते थे, आज वही बच्चे भगवान से मन्नत मांग रहे हैं कि ‘हे भगवान सब कराना मगर टॉप नहीं कराना’.
बता दें कि बिहार बोर्ड के दसवीं का रिजल्ट 22 जून को आने की संभावना है. मगर जिस तरह से इंटर आर्ट्स टॉपर्स स्कैम का मामला सामने आया है उसे देखते हुए बच्चे काफी डरे हुए हैं. बच्चों को जैसे टॉप का भूत डरा रहा है. मैट्रिक परीक्षा में शामिल सिर्फ पास होने को तैयार हैं, मगर टॉप होने को कतई तैयार नहीं हैं.
हालांकि, इस बार पिछली गलतियों से सबक लेते हुए बिहार बोर्ड किसी तरह का जोखिम उठाने के मुड में नहीं है. रिजल्ट के बाद मीडिया में किसी तरह से बोर्ड और सरकार की किरकिरी न हो इसके लिए बोर्ड पहले से ही कई इंतजाम कर चुकी है. इसके लिए बोर्ड ने टॉप 10 में आने वाले स्टूडेंट्स का सत्यापन भी कराया है.
बताया जा रहा है कि मैट्रिक में टॉप टेन में आने वाले स्टूडेंट्स का फिजिकल वेरिफिकेशन करवाया गया है ताकि किसी तरह की गड़बड़ी की गुंजाइश न रहे. इसके लिए बोर्ड ने अलग-अलग करके टॉप 10 में शामिल छात्रों का फिजिकल वेरिफिकेशन कराया है. साथ ही उन सभी स्टूडेंट्स को बोर्ड ऑफिस बुलाकर विशेषज्ञ टीचर्स द्वारा उनका ओरल और रिटेन टेस्ट भी कंडक्ट कराया गया है.
खबरों की मानें, तो टॉप छात्रों के वेरिफिकेशन में काफी सावधानी बरती गई है. साथ ही गोपनीयता का भी ख्याल रखा गया है. बताया जा रहा है कि गोपनीयता के मद्देनजर स्टेशन पर ही परीक्षार्थियों को रिसीव किया गया और कुछ परीक्षार्थी सड़क मार्ग से राजधानी पहुंचे. इनसे बोर्ड कर्मी लगातार संपर्क में रहे. एक निश्चित स्थान पर उन्हें रिसीव किया गया और उन्हें यात्रा भत्ता भी दिया गया.
इस बार उम्मीद की जा रही है कि इस बार कुल छात्रों की सफलता का प्रतिशत 50 फीसदी से ज्यादा और 60 फीसदी से कम होगा. साथ ही उम्मीद ये भी जताई जा रही है कि कि इस बार लड़कों की सफलता का प्रतिशत लड़कियों से बेहतर होगा. बता दें कि पिछली बार कुल 44.66 फीसदी बच्चे पास हुए थे.
बताया जा रहा है कि इस साल मैट्रिक के टॉप टेन में करीब 40 स्टूडेंट्स जगह बनाने में कामयाब हुए हैं. जिनमें से 15 सिमुलतला आवासीय विद्यालय के छात्र भी शामिल हैं. बता दें कि जमूई का ये विद्यालय टॉपर्स देने के मामले में प्रचलित रहा है. हालांकि, अभी भी टॉपरों की कॉपियों की बार-बार जांच हो रही है.
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