नई दिल्ली : सीबीएसई 2018 तक स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए मॉडरेशन पॉलिसी को खत्म कर देगा, इसकी जगह 2018 से ज्यादा साइंटिफिक मॉडरेशन पॉलिसी लागू की जाएगी. इससे पहले CBSE ग्रेस मार्क्स देने की मॉडरेशन पॉलिसी को इस साल से ही समाप्त करने वाली थी लेकिन दिल्ली हाई कोर्ट के आदेश के कारण इसे फिलहाल टाल दिया गया है.
मानव संसाधन विकास मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार कोर्ट के आदेश के कारण इस साल मॉडरेशन पॉलिसी को खत्म नहीं किया जा सका है. लेकिन अगले साल से इसे खत्म कर दिया जाएगा. इस नियम को खत्म करने के लिए कुछ और प्रदेशों के बोर्ड भी राजी हो गए हैं. कुछ बोर्ड्स ने इस साल से इस नियम को लागू करने को लेकर कुछ समस्याएं गिनाई थीं लेकिन 2018 से इसे लागू करने के लिए सभी तैयार हैं.
ग्रेस मार्क्स मॉडरेशन पॉलिसी को खत्म करने के लिए मानव संसाधन विकास मंत्रालय (एचआरडी मिनिस्ट्री) ने एक इंटर बोर्ड वर्किंग ग्रुप (आईबीडब्ल्यूजी) का गठन किया है. आईबीडब्ल्यूजी में आठ बोर्ड्स शामिल हैं, जो नंबर बढ़ाकर देने की परंपरा पर रोक लगाने के लिए विस्तार से योजना तैयार करेंगे.
सीबीएसई की मॉडरेशन पॉलिसी के तहत 80 से 85 फीसदी नंबर लाने वाले किसी छात्र का स्कोर बढ़कर 95 फीसदी हो सकता है. हालांकि 95 फीसदी या उससे ज्यादा नंबर लाने वाले छात्र को कोई अतिरिक्त नंबर नहीं मिलते हैं.
परीक्षा परिणाम में छात्रों को अतिरिक्त अंक देना मॉडरेशन पॉलिसी है. मॉडरेशन पॉलिसी के तहत छात्रों को कठिन सवालों की सूरत में कुछ पेपर्स में 15 फीसदी तक अतिरिक्त नंबर दिए जा सकते हैं. इस पॉलिसी की मदद से छात्रों को अच्छे नंबर लाने में सहायता मिलती है.