नई दिल्ली। शिक्षा के राष्ट्रीय नीति (NEP) में काफी बदलाव किए जाने है जिसके तहत नेशनल करिक्युलम फ्रेमवर्क (NCF) ने 800 पन्नों का ड्राफ्ट तैयार किया है जिसमें होने वाले बदलावों का उल्लेख है जिसमें सबसे मुख्य बदलाव 10+2 के फॉर्मेट में हुआ है। 10+2 की जगह लागू होगा 5+3+3+4 फॉर्मेट नई शिक्षा निति […]
नई दिल्ली। शिक्षा के राष्ट्रीय नीति (NEP) में काफी बदलाव किए जाने है जिसके तहत नेशनल करिक्युलम फ्रेमवर्क (NCF) ने 800 पन्नों का ड्राफ्ट तैयार किया है जिसमें होने वाले बदलावों का उल्लेख है जिसमें सबसे मुख्य बदलाव 10+2 के फॉर्मेट में हुआ है।
नई शिक्षा निति में 10+2 के फॉर्मेट को पूरी तरह से हटाने की बात कही जा रही है और इसकी जगह पर 5+3+3+4 फॉर्मेट लागू होना है, फॉर्मेट की संछिप्त में जानकारी निम्न है –
5 का अर्थ है फाउंडेशन स्टेज: इसमें पहले तीन साल प्री-स्कूलिंग शिक्षा के तहत आते है और अगले 2 साल में कक्षा 1 एवं 2 भी इस फाउंडेशन स्टेज में शामिल है।
3 यानी प्रीप्रेटरी स्टेज: इसमें 3 से 5 तक की कक्षा शामिल है।
3 यानी मिडिल स्टेज: इसमें 6 से 8 तक की कक्षा शामिल है।
4 यानी सेकेंडरी स्टेज:इसमें 9 से 12 तक की कक्षा शामिल है।
नेशनल करिकुलम फ्रेमवर्क (NCF) के मसौदे यानी ड्राफ्ट में कहा गया है कि 3 से 8 साल (नर्सरी-कक्षा 2) के बच्चों के ऊपर लिखित परीक्षाका बोझ नहीं पड़ना चाहिए क्योंकि ये समय उनके शारीरिक विकास के साथ-सह उनके मानसिक विकास का भी होता है जिस समय उन्हें दिमागी तनाव से जितना दूर रखा जाये उतना बेहतर है। इस आयु के बच्चे अलग तरीके से सीखते हैं और अपनी शिक्षा को अलग तरह से व्यक्त भी करते हैं। सीखने के परिणाम या योग्यता की उपलब्धि का आकलन करने के कई तरीके हो सकते हैं।
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