नई दिल्ली: अस्ताना में भारत-पाक का दोस्ताना होगा या नहीं, इसका और इसका भी कि भारत और कज़ाकिस्तान के दोस्ताने के बावजूद कितने अलग हैं दोनों. डेढ़ साल पहले की जब प्रधानमंत्री मोदी अचानक लाहौर पहुंच गए थे पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ से मिलने.
डेढ़ साल पहले हुई ये मुलाकात दोनों प्रधानमंत्रियों के बीच हुई आखिरी मुलाकात थी. उसके बाद पाकिस्तान ने आतंक को बढ़ावा देना और भारत में अशांति फैलाने का कारोबार कुछ यूं तेज़ किया कि 2016 में पीएम मोदी के पाकिस्तान जाने का कार्यक्रम ही रद्द हो गए.
तब से अब तक बहुत पानी बह चुका लेकिन दोनों देशों के रिश्तों में जमी बर्फ़ अब तक नहीं पिघली है और हाल के दिनों में जो कुछ हुआ है उससे तनाव बढ़ा ही है. ऐसे में कल का दिन अहम है क्योंकि कल पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और प्रधानमंत्री मोदी एक ही टेबल पर होंगे.
दुनिया भर की निगाहें SCO समिट में कल मोदी-शरीफ की मुलाकात पर टिकी हुई हैं कि क्या दोनों में बात होगी. अंदर की बात ये है कि नवाज शरीफ़ पीएम मोदी से मिलना चाहते हैं लेकिन भारत इसके लिए तैयार नहीं है. भारत के बातचीत से मना करने की वजहें भी हैं.
क्यों पाकिस्तान से बात नहीं करना चाहता भारत ?
– कुलभूषण जाधव मामले में पाक के रवैये से नाराज़गी
– सीमा पर लगातार सीज़फायर का उल्लंघन
– पाक ट्रेन्ड आतंकियों का लगातार भारत में सैनिकों पर हमला
– पाक की बॉर्डर एक्शन टीम की भारतीय सैनिकों से की गई बर्बरता
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज पहले ही साफ़ कर चुकी हैं कि गोली और बातचीत साथ नहीं चल सकते यानि भारत का स्टैंड बहुत क्लियर है. बात करनी है तो गोली रोकिए और इसलिए पीएम मोदी और नवाज़ शरीफ़ एक कार्यक्रम में होंगे तो ज़रुर लेकिन बात नहीं होगी.
अस्ताना में चल रही इस बैठक में भारत और पाकिस्तान को पूर्णकालिक सदस्य का दर्जा दिया जाना है. भारत के लिए इसका सदस्य बनना इसलिए जरूरी था ताकि भारत रूस के जरिए चीन पर दबाव डाल सके कि वो आतंकवाद पर पाकिस्तान की नीतियों का साथ ना दे.
स्थायी सदस्य बनने की इस प्रक्रिया के लिए भारत और पाकिस्तान ने मेमोरेंडम ऑफ आब्लिगेशन पर दस्तखत किए हैं. चीन, रूस, कजाकिस्तान, किर्गिस्तान, उज्बेकिस्तान और ताजिकिस्तान SCO के सदस्य हैं. SCO वो संगठन है, जिसके सदस्य देशों की जनसंख्या दुनिया की करीब 40 फीसदी है.
दुनिया की जीडीपी में एससीओ सदस्य देशों का 20 फीसदी योगदान है. लेकिन एक अहम पहलू ये भी है कि अगर SCO का एक सदस्य देश दूसरे सदस्य देश पर हमला करता है, तो बाकी सदस्य देश उस देश का साथ देते हैं, जिस पर हमला हुआ है.
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