नई दिल्ली: देश का पहला नागरिक यानि भारत का राष्ट्रपति. हांलाकि लोग कहते हैं कि राष्ट्रपति तो सिर्फ रबर स्टांप भर होता है. लेकिन नहीं राष्ट्रपति रबर स्टंप कभी नहीं होता. भारत के राष्ट्रपति के चुनाव की प्रणाली आयरलैंड से ली गई है. इसे चुनने का तरीका भी एकल संक्रमणीय पद्धति है.
साधारण भाषा में समझिए तो प्रियॉरिटी के मुताबिक चयन होता है. वोट देने वाले के सामने च्वाइस में नंबर से नाम आते हैं. वोट दो ही तरह के लोग दे सकते हैं या तो वो लोग जो सांसद हों या विधायक या फिर MLC . विधायकों के वोट की वैल्यू का तरीका भी अलग होता है.
राज्यों की जनसंख्या के मुताबिक, जिस राज्य की जनसंख्या जितनी ज्यादा उसके वोट की वैल्यू उतनी ज्यादा. भारत का राष्ट्रपति देश का संवैधानिक मुखिया तो है लेकिन उसके पास वो ताकत और सुविधाएं नहीं जो दुनिया के सबसे ताकतवर देश अमेरिका के राष्ट्रपति के पास है.
भारत के राष्ट्रपति का वेतन अभी तक 1.5 लाख रुपय महीने है. इसे बढ़ाकर 5 लाख किए जाने का प्रस्ताव है. जबकि अमेरिका के राष्ट्रपति को 4 लाख डॉलर यानि 2 करोड़ 72 लाख 44 हजार रुपए है. भारत के राष्ट्रपति को कई तरह के भत्ते मिलते हैं. रहने के लिए 300 कमरो वाला राष्ट्रपति भवन है.
पर्सनल सक्रेट्री के लिए भी भत्ता मिलता है. 375 से ज्यादा स्टाफ हैं. एक राष्ट्रपति सचिवालय है. दूसरी तरफ अमेरिका का राष्ट्रपति है जिसे व्यक्तिगत यात्राओं के लिए, सालाना 68 लाख रुपए, मनोरंजन के लिए 13 लाख रुपए. रहने के लिए फ्री में आवास मिलता है.
भारत के राष्ट्रपति को यात्रा के लिए देश के अंदर चलने पर अलग से मिलिट्री विमान. बाहर जाने पर सरकारी विमान जो आधुनिक सुख-सुविधाओं से लैश होता है. दूसरी तरफ अमेरिकी राष्ट्रपति के लिए एयरफोर्स वन है. जो दुनिया का सबसे आधुनिक सुख-सुविधाओं वाला विमान है.
भारत का राष्ट्रपति संवैधानिक प्रमुख तो है लेकिन उसके पास विधायी शक्तियां यानी जिससे सरकार सही मायने में चलती है, वो ताकत नहीं दी गई हैं. ये ताकत संविधान ने हिन्दुस्तान में प्रधानमंत्री को दी है. जबकि अमेरिका के राष्ट्रपति के पास तमाम विधायी शक्तियां हैं. कई मामलों में उसे वीटो पावर दिया गया है.
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