नई दिल्ली: जवाब तो देना होगा में आज सवाल उन धर्म के गुरूओं का जो वोट देने का पाठ पढ़ाते फिरते हैं. चुनाव आते हीं कोई मुसलमानों से कहता है कि फलाना पार्टी को वोट दे दो तो कोई धर्म गुरू हिन्दूओं से कहता है कि इस पार्टी को वोट देना है.
क्या इन धर्मगुरूओं की नज़र में आम वोटर इतना काबिल नहीं कि अपना नेता तक चुन सके और इन धर्मगुरूओं को इस बात का अधिकार क्यों और किसने दिया कि वो वोटर को बताएं कि किसे वोट देना है. पहले आपको दिखाते हैं कि यूपी में चुनाव आया तो कैसे धर्मगुरू अपनी अपनी कौम के लोगों को बताने लग गए कि वोट किसे देना है.
धर्मगुरू का वोट ज्ञान
दिल्ली की जामा मस्जिद के शाही इमाम सैयद अहमद बुखारी ने बीएसपी को समर्थन देने का एलान किया है. बुखारी ने अपने समर्थकों से एसपी के खिलाफ वोट करने की अपील की है. बुखारी ने कहा है कि समाजवादी पार्टी परिवार के झगड़े में मस्त है. जिससे प्रदेश के मुस्लिम समाज का नुकसान हो रहा है.
उलेमा काउंसिल भी मायावती के समर्थन का एलान कर चुकी है. काउंसिल के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना आमिर रशादी ने एसपी पर आरोप लगया कि 5 साल के कार्यकाल में उन्होने मुसलमानों के लिए कोई काम नहीं किया. शिया समुदाय के बड़े गुरु मौलाना कल्बे जव्वाद भी बीएसपी में शामिल हो गए हैं.
कल्बे जव्वाद ने कहा कि देश में कांगेस और समाजवादी पार्टी ने मुसलमानों को सिर्फ वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किया है. अखिल भारतीय ब्राह्मण महासभा के अध्यक्ष राजेन्द्र त्रिपाठी ने बीएसपी को समर्थन का ऐलान किया. हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज ने बीएसपी को वोट देने की अपील की.
(वीडियो में देखें पूरा शो)