नई दिल्ली: उत्तर-प्रदेश में बढ़ती ठंड के साथ सियासी पारा बढ़ने लगा है. उत्तर-प्रदेश को उत्तम प्रदेश बनाने का दावा करने वाली समाजवादी पार्टी में ही कुछ भी उत्तम नहीं है. समाजवादी पार्टी की अंदरुनी लड़ाई अब सतह पर आ गई है.
चुनाव आने पर हर पार्टी अपने उम्मीदवारों की लिस्ट जारी करती है लेकिन समाजवादी पार्टी इकलौती ऐसी पार्टी है जिसने अपने उम्मीदवारों की एक नहीं बल्कि दो दो लिस्ट जारी की. एक लिस्ट यू पी के सीएम अखिलेश यादव की और दूसरी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष शिवपाल यादव की.
नतीजा, चाचा-भतीजा एक बार फिर से आमने सामने हैं और पार्टी के नेता कनफ्यूज़. अखिलेश चाहते हैं कि सरकार उनके चेहरे पर चली है और चुनाव भी उनके चेहरे पर लड़ा जाएगा तो उम्मीदवारों का चेहरा उनकी पसंद का क्यों न हो. लेकिन शिवपाल को लगता है कि बतौर प्रदेश अध्यक्ष ये उनका अधिकार है कि वो तय करें कि चुनाव में कौन उतरेगा.
ऐसे में कुछ सवाल हैं जिनका जवाब तो देना ही होगा कि क्या यूपी चुनाव से पहले अखिलेश और शिवपाल के बीच फिर टकराव होगा? अगर अखिलेश बगावती हो रहे हैं तो क्या मुलायम उनपर कार्रवाई करेंगे? सपा की अंदरुनी लड़ाई ले बीजेपी या बीएसपी में से किसको फ़ायदा? क्या सपा की लड़ाई स्क्रिप्टेड है?
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