नई दिल्ली। विश्वभर में 28 जुलाई को हेपेटाइटिस डे मनाया जाता है. इस दिन को मनाने का उद्देश्य है कि लोगों में इस बीमारी के बारे में जानना और इसका बचाव करना. हमारी बॉडी में लिवर और किडनी दोनों ही बहुत महत्वपुर्ण अंग है. साथ ही दोनों का आपस में काफी गहरा संबंध भी है क्योंकि लिवर में होने वाले टॉक्सिन्स को शरीर से बाहर निकालने का काम किडनी ही करती हैं.
यदि कोई हेपेटाइटिस बीमारी से ग्रसित है तो इस दौरान उसके लिवर में सूजन का खतरा हो जाता है जिसका सीधा असर किडनी पर ही पड़ता है फिर किडनी को कई तरह की परेशानी का समाना करना पड़ सकता है. आइए वर्ल्ड हेपेटाइटिस डे के दिन जानें कि किडनी को पहुचंने वाले नुकसान और किन-किन उपायों को अपना कर आप बच सकते हैं.
बता दें कि एक्यूट एक तरह का वायरल है जो हेपेटाइटिस के कारण ही होता है. इससे बचाव के लिए हाइड्रेशन थेरेपी की मदद ली जाती है. जिससे किडनी को पहुंचने वाली क्षति से उबरा जा सकता है.
ग्लोमेरुलोनेफ्राइटिस ग्लोमेरुलस की सूजन को कहते हैं. इसका संक्रमण हेपेटाइटिस बी और सी में देखा जाता है. इस बीमारी में इम्यून सिस्टम पर प्रभाव पड़ता है जिसके कारण किडनी फिल्टर्स को क्षति पहुंचती है और उसमें सूजन आ जाती है. इस वजह से यूरीन में ब्लड और प्रोटीन जाने लगता है साथ ही यूरिया एवं क्रिटनाइन का स्तर बढ़ जाता है. सही समय पर बीमारी पकड़ में आ जाए तो क्रोनिक किडनी डैमेज से बचा जा सकता है.
हेपेटाइटिस बी और ए में बचाव के लिए वैक्सीन उपलब्ध है लेकिन हेपेटाइटिस सी से बचने के लिए फिलहाल कोई वैक्सीन उपलब्ध नहीं है.
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