नई दिल्ली: जैसे-जैसे मौसम में बदलाव होता है तो उसका असर मूड पर भी पड़ता है। वैसे ही ठंड के साथ शरीर में आलस भी बढ़ता है। बता दें कि सर्दियों में कॉफी दिनों तक जब धूप के दर्शन नहीं होते हैं। तो इसका सीधा असर हमारे मूड पर पड़ता है। इस दौरान बहुत से […]
नई दिल्ली: जैसे-जैसे मौसम में बदलाव होता है तो उसका असर मूड पर भी पड़ता है। वैसे ही ठंड के साथ शरीर में आलस भी बढ़ता है। बता दें कि सर्दियों में कॉफी दिनों तक जब धूप के दर्शन नहीं होते हैं। तो इसका सीधा असर हमारे मूड पर पड़ता है। इस दौरान बहुत से लोगों में चिड़चिड़ापन आने लगता है और बात-बात पर गुस्सा आने लगता है। इसी वजह से इसे विंटर डिप्रेशन (Winter Depression) कहा जाता है।
जानकारी के मुताबिक कम धूप की वजह से सेरोटोनिन(Winter Depression) लेवल में कमी आ जाती है और ठंड में हमारी बॉडी की बायोलॉजिलक क्लॉक में बदलाव होना काफी कॉमन होता है। एक्सपर्ट्स ने बताया कि सुबह की धूप दिमाग के जागने और अलर्ट रहने के लिए बहुत ही ज्यादा आवश्यक होता है। बता दें कि हमारे देश में हर साल ठंड के मौसम(winter season) में करीब 1 करोड़ लोग विंटर डिप्रेशन की चपेट में आते हैं।
एक्सपर्ट्स के मुताबिक सुबह की धूप दिमाग को जागने और अलर्ट रहने के लिए बहुत ही ज्यादा आवश्यक होता है। सर्दियों में सुबह की धूप जरूरी मानी जाती है क्योंकि सुबह की धूप से हेल्दी कॉर्टिसॉल हॉर्मोन्स को शरीर को मिल जाता है। जिस वजह से डिप्रेशन से बचाव होता है।
कोर्टिसोल एक स्टेरॉयड हार्मोन है, एड्रेनल ग्लैंड द्वारा इस हार्मोन का निर्माण होता है। शरीर की अधिकांश कोशिकाओं में कोर्टिसोल रिसेप्टर्स होते हैं। हार्मोन का स्राव हाइपोथैलेमस, पिट्यूटरी ग्रंथि और एड्रेनल ग्लैंड(adrenal gland) द्वारा नियंत्रित किया जाता है। चूंकि, कोर्टिसोल(cortisol hormone) शरीर की कई कोशिकाओं(cells) में मौजूद होता है, ऐसे में इसके कार्य भी उसी आधार पर अलग-अलग होते हैं।
यह भी पढ़े: India News Manch 2023: पीएम मोदी ने जो कहा वो किया… मंच पर बोले अनुराग ठाकुर