नई दिल्ली: पोस्टमार्टम के बारे में तो लगभग सभी ने सुना होगा, लेकिन बहुत कम लोग इसके बारे में जानते हैं। शायद ही आपको पता हो कि पोस्टमार्टम में अंगों का वजन किया जाता है। आइए जानते हैं इसके पीछे क्या कारण है।
डॉक्टरों के अनुसार पोस्टमार्टम एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमें किसी व्यक्ति की मृत्यु के बाद उसके शरीर की जांच की जाती है, ताकि मृत्यु के कारणों का पता लगाया जा सके। इस प्रक्रिया में शरीर के अंदरूनी अंगों की भी गहराई से जांच की जाती है। पोस्टमार्टम के दौरान किया जाने वाला एक महत्वपूर्ण कदम अंगों का वजन करना है।
पोस्टमार्टम के दौरान अंगों का वजन करने का मुख्य उद्देश्य डॉक्टरों को यह पता लगाना है कि कोई अंग सामान्य स्थिति में है या नहीं। सामान्य स्थिति का मतलब है कि अंग का आकार और वजन सामान्य होना चाहिए। अगर किसी अंग का वजन बढ़ा या घटा पाया जाता है, तो यह संकेत हो सकता है कि उस अंग में कोई बीमारी या असामान्यता हो सकती है। अंगों का वजन करने से डॉक्टरों को यह भी पता चलता है कि व्यक्ति के शरीर में क्या स्वास्थ्य समस्याएं थीं। उदाहरण के लिए, अगर दिल का वजन सामान्य से अधिक है, तो यह हृदय संबंधी समस्याओं का संकेत हो सकता है।
इसी तरह अगर लिवर का वजन बढ़ा हुआ पाया जाता है तो यह लिवर की बीमारियों का संकेत हो सकता है। अंगों का वजन करने से मौत की वजह का पता लगाने में भी मदद मिलती है। अगर किसी व्यक्ति की मौत की वजह उसकी अंदरूनी बीमारी है तो यह भी उसके अंगों के वजन से पता चल सकता है। उदाहरण के लिए अगर किसी व्यक्ति की मौत फेफड़ों की बीमारी से हुई है तो उसके फेफड़ों का वजन बढ़ा हुआ हो सकता है।
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