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क्यों हो रही है अधिकतर महिलाएं पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज (PCOD) की शिकार

  नई दिल्ली: महिलाओं में पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज (PCOD) की समस्या तेजी से बढ़ रही है, और पिछले एक दशक में इस बीमारी ने बड़ी संख्या में महिलाओं को प्रभावित किया है। 16 से 40 वर्ष की महिलाओं में यह समस्या आम होती जा रही है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के आंकड़ों के मुताबिक, भारत […]

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क्यों हो रही है अधिकतर महिलाएं पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज (PCOD) की शिकार
  • September 9, 2024 9:58 pm Asia/KolkataIST, Updated 3 months ago

 

नई दिल्ली: महिलाओं में पॉलिसिस्टिक ओवरी डिजीज (PCOD) की समस्या तेजी से बढ़ रही है, और पिछले एक दशक में इस बीमारी ने बड़ी संख्या में महिलाओं को प्रभावित किया है। 16 से 40 वर्ष की महिलाओं में यह समस्या आम होती जा रही है। नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के आंकड़ों के मुताबिक, भारत में हर पांच में से एक महिला पीसीओडी से पीड़ित है, जिससे बांझपन का खतरा बढ़ जाता है।

एंडोमेट्रियल कैंसर जैसी बीमारी

2021 में एक रिपोर्ट के अनुसार, अगर इस बीमारी का सही समय पर इलाज न किया जाए, तो 15-20 प्रतिशत महिलाएं एंडोमेट्रियल कैंसर की चपेट में आ सकती हैं। इसके बावजूद कई महिलाएं इस बीमारी के बारे में अवगत नहीं हैं, जिससे यह स्थिति गंभीर बनती जा रही है। आइए जानते हैं कि आखिर क्यों पीसीओडी इतनी तेजी से बढ़ रही है और इसके कारण क्या हैं।

पीसीओडी का कारण

हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, पीसीओडी का कोई एक कारण नहीं है। खराब जीवनशैली, बिगड़ा खानपान, मानसिक तनाव, धूम्रपान और शराब के अधिक सेवन से यह समस्या उत्पन्न हो सकती है। हाल के वर्षों में महिलाओं की असंतुलित जीवनशैली और अनियमित सोने-जागने के समय के कारण इसका खतरा बढ़ा है। कुछ मामलों में यह बीमारी जेनेटिक भी हो सकती है। पीसीओडी की वजह से महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन हो जाता है, जिससे चेहरे पर अनचाहे बाल उगने और मासिक चक्र में गड़बड़ी जैसी समस्याएं उत्पन्न होती हैं।

मोटापा और स्लीप एप्निया जैसी समस्याएं

पीसीओडी की वजह से कई गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। इससे ओवरी में छोटे-छोटे सिस्ट बन जाते हैं, जो गर्भधारण में मुश्किल पैदा करते हैं और बांझपन का कारण बन सकते हैं। इसके अलावा पीसीओडी से इंसुलिन रेजिस्टेंस बढ़ता है, जिससे मोटापा और स्लीप एप्निया जैसी समस्याएं हो सकती हैं। पीसीओडी की पहचान के लिए डॉक्टर पैल्विक जांच, अल्ट्रासाउंड और अन्य टेस्ट जैसे कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड टेस्ट करते हैं। पीसीओडी का सही समय पर निदान और इलाज जरूरी है।

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