नई दिल्ली : WHO के शब्दों के अनुसार जब कोई खास इलाका किसी गंभीर स्वास्थ्य बीमारी या खतरों से जूझ रहा होता है तब उस शहर, राजधानी, राज्य या पूरे देश में हेल्थ इमरजेंसी यानी स्वास्थ्य आपातकाल लागू कर दिया जाता है. पर अगर ये समस्या ग्लोबल स्तर पर फैलने लगती है तो इस स्थिति में पब्लिक या ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी लागू की जाती है. आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि ये ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी क्या होती है? ये किस तरह से काम करती है? और इसका कब ऐलान होता है?
ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी को Public Health Emergency of International Concern (PHEIC) नाम से भी जाना जाता है. विश्व स्वास्थ्य संगठन World Health Organization (WHO) की ओर से इस तरह का आपातकाल घोषित किया जाता है. इस तरह के आपातकाल की घोषणा से ये साफ़ हो जाता है कि किसी बीमारी को लेकर दुनिया में स्वास्थ्य जोखिम के हालात हैं. वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल को लेकर WHO की तय परिभाषा के अनुसार जब कोई खास इलाका किसी गंभीर स्वास्थ्य खतरों से जूझता है तब उस शहर, राजधानी, राज्य या देश में इस तरह की स्थिति यानी हेल्थ इमरजेंसी लागू की जाती है. जब ये समस्या ग्लोबल स्तर पर फैल सकती है तब यह PHEIC का मुद्दा बन जाता है. इस समय मंकिपॉक्स दुनिया के लिए एक ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी के रूप में आया है.
बात करें राष्ट्रीय स्तर पर देशों को इस स्थिति से निपटने के लिए क्या-क्या एहतियात लेने होते हैं तो सबसे पहले देशों को उस बीमारी से बचाव और उसे फैलने से रोकने के उपाय करने होते हैं. संक्रमित मरीज की पहचान कर उसका इलाज सुरक्षित ढंग से हो इसे सुनिश्चित करना होता है. लोगों में स्थिति को लेकर जागरूकता भी फैलानी होगी है. बता दें, WHO के सभी 196 सदस्य देश इस प्रोटोकॉल और गाइडलाइन को फॉलो करते हैं.
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने अब मंकिपॉक्स के बढ़ते खतरे को देखते हुए वर्ल्ड हेल्थ इमरजेंसी यानी वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल की घोषणा कर दी है. बता दें, भारत में भी अब तक मंकिपॉक्स के कुल तीन नए मामले देखने को मिले हैं. इतना ही नहीं अमेरिका में भी मंकिपॉक्स के दो नए मामलों की पुष्टि की गई है. कोरोना के समय में मंकिपॉक्स के खतरे से पहले ही सचेत रहने कीआवश्यकता है. इसी बीच WHO ने इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपात घोषित कर दिया है. बता दें, भारत सरकार पहले से ही इसे लेकर सतर्क मोड पर चल रही है. जहां राजधानी दिल्ली में तो इसका स्वास्थ्य केंद्र भी बना दिया गया है. दिल्ली में एलएनजेपी अस्पताल को इसका इलाज केंद्र बनाया गया है.
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