लखनऊ: उत्तर प्रदेश में अंगदान करने के मामले में महिलाओं के हिस्सेदारी 87% है जबकि महिला अंग पाने में सिर्फ 13% है। गंभीर बीमारियों से जूझ रही तमाम महिलाएं अंग के इंतजार में दम तोड़ देती है। परिवार के पुरुष अंगदान के लिए तैयार नहीं होते हैं. उत्तर प्रदेश के चिकित्सा संस्थान में ऐसे भी केसे आ रहे हैं, जिनमें महिलाओं में किडनी लीवर की गंभीर समस्या होने पर उपचार ही बंद कर दिया जाता है।
राज्य अंग एवं उत्तक प्रत्यारोपण संगठन (एसओटीटीओ) की रिपोर्ट के अनुसार पुरुष मरीजों को लीवर एवं किडनी दान करने वाली 87% महिलाएं होती हैं। इनमें करीब 50% केस में पत्नी अंगदान करती है। पत्नी के नहीं रहने पर 38% मामले में मां अंगदान दान करती है। इसी तरह पिता की हिस्सेदारी 10% और बहन की हिस्सेदारी 1.5% और भाई की एक प्रतिशत हिस्सेदारी होती है। एसओटीटीओ के निदेशक प्रोफेसर आर. हर्षवर्धन कहते हैं कि परिवार के किसी पुरुष को अंगदान की जरूरत पड़ती है तो पत्नी और मां तत्काल आगे आ जाती हैं लेकिन महिला को जरूरत पड़ती है तो कोई पुरुष अंगदान करना भी नहीं चाहते तो परिवार के अन्य सदस्य उसे हतोत्साहित करते हैं।
पीजीआई के नेफ्रोलॉजी विभाग अध्यक्ष प्रोफेसर नारायण प्रसाद कहते हैं कि संस्था में हर साल करीब 140 किडनी प्रत्यारोपण हो रहे हैं। इनमें महिलाओं के हिस्सेदारी सिर्फ 10% है. महिलाओं को प्रत्यारोपण की जरूरत पड़ती है तो परिवार के लोगों की काउंसलिंग में ज्यादा वक्त लगता है। उनमें भी कोशिश रहती है कि किसी महिला सदस्य का ही अंगदान कर दिया जाए।
प्रदेश में 65 सरकारी और निजी अस्पतालों ने अंगदान के लिए लाइसेंस ले रखा है। केजीएमयू, पीजीआई, लोहिया संस्थान में प्रत्यारोपण हो रहा है। लखनऊ स्थित निजी संस्थान में भी किडनी, लीवर प्रत्यारोपण की शुरुआत हुई है। प्रदेश में वर्ष भर में करीब 250 प्रत्यारोपण हो रहे हैं, जिनमें महिलाओं की हिस्सेदारी 25 से 30 % तक है दिल के प्रत्यारोपण का लाइसेंस पीजीआई के पास है लेकिन शुरू नहीं हुआ है।
लखनऊ के केजीएमयू में 34 मरीजों का लीवर प्रत्यारोपण किया गया। जिनमें 32 पुरुष और दो महिलाएं हैं। एक महिला को बेटे ने दान दिया जबकि दूसरी को किडनी (ब्रांडेड के बाद अंगदान ) से प्राप्त हुआ केजीएमयू में 8 कितने प्रत्यारोपण हुआ है। इनमें सिर्फ एक महिला का प्रत्यारोपण हुआ है , वह भी कैडवर। यहां की टीम कई मरीजों को प्रत्यारोपण के लिए तैयार करके रखा है। नेफ्रोलॉजी विभाग के लिए अंगदान की जागरूकता पर निरंतर कार्य की जरूरत है। ओपीडी में आने वाले महिला मरीजों के परिजनों को किडनी की गंभीर स्थिति बता दिए जाने से वह आगे के इलाज ही बंद करने की कोशिश में रहते हैं।
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