नई दिल्ली: मीट का सेवन करने वाले लोगों के लिए यह खबर बेहद महत्वपूर्ण है। अगर आप हफ्ते में तीन या उससे अधिक बार मीट का सेवन करते हैं, तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरे की घंटी हो सकती है। मीट में पाया जाने वाला फैट कई प्रकार की बीमारियों का कारण बन […]
नई दिल्ली: मीट का सेवन करने वाले लोगों के लिए यह खबर बेहद महत्वपूर्ण है। अगर आप हफ्ते में तीन या उससे अधिक बार मीट का सेवन करते हैं, तो यह आपके स्वास्थ्य के लिए गंभीर खतरे की घंटी हो सकती है। मीट में पाया जाने वाला फैट कई प्रकार की बीमारियों का कारण बन सकता है। आइए जानते हैं वह कौन सी बीमारीयां हैं जो मीट में मौजूद फैट के कारण हो सकती हैं।
मीट में सैचुरेटेड फैट की मात्रा काफी ज्यादा होती है। इसके कारण आपके शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर बढ़ा सकता है। बढ़ा हुआ कोलेस्ट्रॉल हृदय की धमनियों में ब्लॉकेज का कारण बन सकता है, जिससे हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।
रेड मीट और प्रोसेस्ड मीट का सेवन टाइप 2 डायबिटीज का जोखिम बढ़ा सकता है। इसमें मौजूद फैट और प्रोटीन इंसुलिन प्रतिरोध को बढ़ावा देते हैं, जिससे रक्त में शर्करा का लेवल बढ़ता है और डायबिटीज का खतरा बढ़ता है।
मीट में मौजूद नाइट्राइट्स और अन्य केमिकल्स कैंसर का खतरा बढ़ाते हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने प्रोसेस्ड मीट को कार्सिनोजेनिक यानी कैंसरकारक पदार्थों की सूची में शामिल किया है। खासतौर पर कोलन और पेट के कैंसर का जोखिम मीट खाने वालों में अधिक होता है।
मीट में पाया जाने वाला सैचुरेटेड फैट और नमक का उच्च स्तर हाई ब्लड प्रेशर का कारण बन सकता है। इससे हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा और बढ़ जाता है।
मीट में उच्च मात्रा में कैलोरी होती है, जो वजन बढ़ाने में सहायक होती है। अगर आप नियमित रूप से मीट खाते हैं और फिजिकल एक्टिविटी कम करते हैं, तो मोटापे का जोखिम बढ़ जाता है, जिससे अन्य स्वास्थ्य समस्याएं भी उत्पन्न हो सकती हैं।
मीट में पाए जाने वाले फैट और प्रोटीन शरीर में यूरिक एसिड का स्तर बढ़ाते हैं, जिससे गठिया का खतरा बढ़ जाता है। खासतौर पर रेड मीट का सेवन इस जोखिम को बढ़ा सकता है।
मीट का सेवन किडनी पर दबाव डालता है। इसमें मौजूद प्रोटीन और फैट किडनी को अतिरिक्त काम करने पर मजबूर करते हैं, जिससे किडनी की कार्यक्षमता पर नकारात्मक असर पड़ सकता है। लंबे समय तक ज्यादा मीट खाने से किडनी की समस्या बढ़ सकती है।
मीट में उच्च मात्रा में सैचुरेटेड फैट होता है, जो लिवर पर अतिरिक्त दबाव डालता है। इससे लिवर में फैट जमा हो सकता है, जिसे फैटी लिवर डिजीज कहा जाता है। यह लिवर सिरोसिस और लिवर कैंसर का कारण भी बन सकता है।
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