नई दिल्ली: अक्सर लोग स्पर्म और सीमन को एक ही समझते हैं और दोनों को एक-दूसरे के स्थान पर इस्तेमाल करते हैं। लेकिन ये दोनों अलग-अलग चीजें हैं। सीमन सफेद रंग का तरल पदार्थ होता है, जबकि स्पर्म को आप सीधे आंखों से नहीं देख सकते। इसके लिए माइक्रोस्कोप की जरूरत होती है। प्रजनन के लिए स्पर्म का रोल ज्यादा अहम होता है। आइए, जानते हैं इनके बीच का अंतर।
सीमन एक सफेद रंग का तरल पदार्थ है, जिसमें शुगर, प्रोटीन, विटामिन्स और मिनरल्स होते हैं। इसका मुख्य काम स्पर्म को अंडे तक पहुंचाना होता है ताकि प्रजनन संभव हो सके। सीमन में मौजूद ये पोषक तत्व स्पर्म को ऊर्जा देते हैं और उन्हें अंडे तक पहुंचाने में मदद करते हैं। आजकल की खराब डाइट, धूम्रपान, और शराब जैसी आदतों से स्पर्म काउंट और क्वालिटी पर असर पड़ता है। बता दें कि पुरुष 30 साल की उम्र तक सबसे ज्यादा सीमन का उत्पादन करते हैं।
स्पर्म वे कोशिकाएं होती हैं जो प्रजनन के लिए जरूरी होती हैं। इन्हें आंखों से देख पाना संभव नहीं है; इसके लिए1 माइक्रोस्कोप की जरूरत होती है। एक बार महिला के शरीर में पहुंचने के बाद स्पर्म 5 दिन तक जीवित रह सकता है, जबकि बाहरी वातावरण में ये कुछ ही मिनटों में मर जाते हैं। उम्र के साथ स्पर्म की गुणवत्ता और गतिशीलता (मोबिलिटी) में कमी आ जाती है, खासकर 50 साल के बाद।
सीमन वह सफेद तरल पदार्थ है जो सेक्स के दौरान डिस्चार्ज होता है, जबकि स्पर्म वह प्रजनन कोशिकाएं होती हैं जो सीमन के अंदर मौजूद होती हैं। अगर स्पर्म की क्वालिटी या काउंट कम हो, तो प्रजनन में समस्याएं हो सकती हैं और इससे पुरुषों में बांझपन (इनफर्टिलिटी) का खतरा बढ़ जाता है।
फर्टिलिटी यानी प्रजनन क्षमता के लिए स्पर्म और सीमन दोनों ही महत्वपूर्ण होते हैं, लेकिन इनका अलग-अलग रोल है। स्पर्म, प्रजनन कोशिकाएं होती हैं जो सीधे अंडे को फर्टिलाइज (निषेचित) करने का काम करती हैं। अगर स्पर्म की संख्या (स्पर्म काउंट) या उनकी गुणवत्ता (क्वालिटी) अच्छी नहीं होती, तो प्रजनन में समस्याएं हो सकती हैं और इससे पुरुषों में बांझपन की समस्या हो सकती है।
दूसरी ओर, सीमन वह तरल है जिसमें स्पर्म तैरते हैं और जो उन्हें महिला के अंडे तक सुरक्षित पहुंचाने का काम करता है। अगर सीमन की क्वालिटी सही नहीं है, तो स्पर्म अंडे तक पहुंचने में असफल हो सकते हैं, जिससे प्रजनन प्रभावित हो सकता है। इसलिए, फर्टिलिटी के लिए स्पर्म का स्वस्थ और सक्रिय होना जरूरी है, जबकि सीमन का पर्याप्त और पोषक तत्वों से भरपूर होना स्पर्म को सुरक्षित और प्रभावी तरीके से अंडे तक पहुंचाने के लिए अहम भूमिका निभाता है।
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