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बच्चों में गूंगेपन का खतरा: इन आदतों से रहें सावधान

बच्चों में गूंगेपन का खतरा: इन आदतों से रहें सावधान

Health Tips: कई बार माता-पिता को अपने बच्चों में स्पीच डिले की समस्या की पहचान करने में देरी हो जाती है। अगर आपका बच्चा दो महीने का है और कुछ अजीब सी आवाजें निकाल रहा है, लेकिन बोल नहीं पा रहा है, तो यह स्पीच डिले के शुरुआती लक्षण हो सकते हैं।

समय पर शब्द न बोल पाना

यदि आपका बच्चा 18 महीने का हो गया है और ‘मम्मा’ या ‘पापा’ जैसे शब्द बोलने लगा है, लेकिन दो साल की उम्र तक 25 शब्द भी नहीं बोल पाता, और तीन साल तक 200 शब्द भी नहीं बोल पाता है, तो वह स्पीच डिले की परेशानी से गुजर रहा हो सकता है।

फोन के उपयोग से सावधान रहें

अक्सर माता-पिता अपने बच्चों को चुप कराने के लिए फोन या टैबलेट थमा देते हैं। यह आदत बच्चों की भाषा विकास पर बुरा प्रभाव डाल सकती है। फोन या टैबलेट के अधिक उपयोग से बच्चों की लैंग्वेज डेवलेपमेंट में रुकावट आती है।

पर्यावरण का महत्व

बच्चों की स्पीच और लैंग्वेज विकास में आसपास का वातावरण महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यदि बच्चे अधिक समय फोन या टैबलेट पर बिताते हैं, तो वे अपने आसपास के वातावरण से संवाद नहीं कर पाते, जिससे उनकी भाषा विकास में बाधा आती है।

खाने-पीने के दौरान संवाद

खाने-पीने के समय बच्चों को फोन या टैबलेट देने से वे बात करने का अवसर खो देते हैं। यह आदत भी स्पीच डिले की समस्या को बढ़ा सकती है। माता-पिता को चाहिए कि वे खाने-पीने के दौरान बच्चों से बातचीत करें और उन्हें संवाद का मौका दें।

समाधान के उपाय

1. बच्चों से संवाद करें: बच्चों के साथ अधिक समय बिताएं और उनसे बातचीत करें। उनके सवालों का उत्तर दें और उन्हें नए शब्द सिखाएं।
2. फोन का उपयोग सीमित करें: बच्चों को फोन या टैबलेट का उपयोग सीमित समय के लिए करने दें। इसके बजाय उन्हें किताबें पढ़ने और खेलकूद में शामिल करें।
3. सकारात्मक वातावरण बनाएं: बच्चों के लिए एक सकारात्मक और संवादमय वातावरण बनाएं, जहां वे खुलकर बोल सकें और नए शब्द सीख सकें।

बच्चों की भाषा विकास में माता-पिता की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण होती है। सही आदतों और उपायों को अपनाकर स्पीच डिले की समस्या को रोका जा सकता है और बच्चों की भाषा विकास को सही दिशा में आगे बढ़ाया जा सकता है।

 

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