अफ्रीका में तेजी से फैल रहा है मंकीपॉक्स वायरस, जानें कितना खतरनाक है और कैसे बचें

अफ्रीका में इन दिनों मंकीपॉक्स वायरस तेजी से फैल रहा है, जिससे वहां के लोगों में डर और चिंता बढ़ रही है। मंकीपॉक्स एक दुर्लभ लेकिन गंभीर

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अफ्रीका में तेजी से फैल रहा है मंकीपॉक्स वायरस, जानें कितना खतरनाक है और कैसे बचें

Anjali Singh

  • August 4, 2024 6:10 pm Asia/KolkataIST, Updated 4 months ago

Monkeypox Virus: अफ्रीका में इन दिनों मंकीपॉक्स वायरस तेजी से फैल रहा है, जिससे वहां के लोगों में डर और चिंता बढ़ रही है। मंकीपॉक्स एक दुर्लभ लेकिन गंभीर बीमारी है, जो बंदरों से इंसानों में फैलती है। इसके लक्षण चेचक जैसे होते हैं और यह इंसानों में भी गंभीर समस्याएं पैदा कर सकता है। इस वायरस का तेजी से फैलना सभी के लिए चिंता का मुद्दा है। आइए जानते हैं, ये मंकीपॉक्स वायरस कितना खतरनाक है और इससे कैसे बचा जा सकता है।

मंकीपॉक्स वायरस क्या है?

मंकीपॉक्स एक दुर्लभ लेकिन गंभीर बीमारी है जो मंकीपॉक्स वायरस से होती है। यह वायरस सबसे पहले बंदरों में पाया गया था, इसलिए इसका नाम मंकीपॉक्स रखा गया। यह वायरस इंसानों में भी फैल सकता है और इसके लक्षण चेचक (स्मॉलपॉक्स) जैसे होते हैं।

मंकीपॉक्स के लक्षण

मंकीपॉक्स के लक्षणों में शामिल हैं
बुखार
सिरदर्द
मांसपेशियों में दर्द
पीठ में दर्द
ठंड लगना
थकान
चेहरे और शरीर पर लाल चकत्ते (रैशेज़), जो धीरे-धीरे फफोले और पपड़ी में बदल जाते हैं

मंकीपॉक्स कितना खतरनाक है?

चेचक वायरस की तुलना में मंकीपॉक्स वायरस कम खतरनाक होता है, लेकिन यह गंभीर बीमारियों का कारण बन सकता है। इससे इन्फेक्टेड होने पर मौत दर लगभग 1-10% तक हो सकती है। अफ्रीका में स्वास्थ्य सेवाओं की कमी और कमजोर इम्यून सिस्टम वाले लोगों के लिए यह और भी खतरनाक हो सकता है।

कैसे फैलता है मंकीपॉक्स?

मंकीपॉक्स वायरस फैलता है
संक्रमित जानवरों के काटने या खरोंचने से
इंसानों में शारीरिक संपर्क, या फिर संक्रमित व्यक्ति के कपड़े या बिस्तर के माध्यम से

बचाव के उपाय

संक्रमित लोगों और जानवरों से दूरी रखें

हाथ-पैर हमेशा साबुन और पानी से धोएं

मास्क पहनें और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करें

अपने व्यक्तिगत सामान और कपड़ों को साफ रखें

स्वास्थ्य समस्याएं होने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें

अफ्रीका में मंकीपॉक्स वायरस का तेजी से फैलना चिंता का विषय है। सरकार और स्वास्थ्य संगठनों को मिलकर इस पर काबू पाने के लिए प्रयास करने होंगे। जागरूकता और सावधानी से ही हम इस वायरस से सुरक्षित रह सकते हैं।

 

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