नई दिल्ली, कोरोना ने वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को हाईजैक कर दिया था. अब यही डर मंकीपॉक्स अपने साथ लेकर आ रहा है. आप भी इस बीमारि के बारे में सुन चुके होंगे लेकिन आखिर क्या है ये मंकीपॉक्स और इसके लक्षण क्या है? आइये आपको इस बीमारी के बारे में सब कुछ बताते […]
नई दिल्ली, कोरोना ने वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को हाईजैक कर दिया था. अब यही डर मंकीपॉक्स अपने साथ लेकर आ रहा है. आप भी इस बीमारि के बारे में सुन चुके होंगे लेकिन आखिर क्या है ये मंकीपॉक्स और इसके लक्षण क्या है? आइये आपको इस बीमारी के बारे में सब कुछ बताते हैं.
कोविड-19 महामारी को देखने के बाद अब मंकीपॉक्स ने चिंता बढ़ा दी है. हालांकि भारत में अब तक इस बीमारी का एक भी मामला देखने को नहीं मिला है. पर चिंता इस बात की है कि यह बीमारी भी कोरोना की तरह बिल्कुल नई है. हालांकि स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने मंकीपॉक्स रोग को मैनेज करने के लिए अपनी गाइडलाइन जारी कर दी हैं. वहीं विश्व स्वास्थ्य अधिकारी भी इसकी जांच में जुटे हैं. आम व्यक्ति को समझना भी जरूरी है कि क्या है मंकीपॉक्स?
चेचक की तुलना अगर मंकीपॉक्स से की जाए तो यह एक हल्का संक्रमण है, भले ही दोनों के लक्षण और प्रोग्रेस एक जैसे हैं. जिन देशों में यह बीमारी लोकल है वहाँ भी इसका प्रभाव कम है. मुख्य रूप से अफ्रीकी महाद्वीप के कुछ हिस्सों में इसकी मृत्यु दर कम है. बता दें, मंकीपॉक्स मुख्य रूप से जानवरों की ही एक बीमारी है यह उन जानवरों से फैलती है जो जूनोटिक बन गए हैं – प्रजातियों को पार कर चुके हैं और मनुष्यों को संक्रमित कर सकते हैं. इस बीमारी की खोज पहली बार 1958 में शोध के जरिए बंदरों में हुई थी.
साल 1970 में कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य (तब ज़ैरे) से इसे पहले मनुष्य में पाया गया था. यह एक 9 वर्षीय लड़का था जो इससे प्रभावित हुआ था. अब इसे केवल कुछ अफ्रीकी देशों में ही पाया जाता है. जहां से जानवरों के व्यापार और लोकल देशों में विजिटर्स के असुरक्षित व्यवहार के कारण ये बाहरी देशों में फैलता है.
इस बीमारी का पशु से मानव ट्रांसमिशन के अलावा, मानव से मानव ट्रांसमिशन भी संभव है. हालाँकि इससे घबराने की जरूरत नहीं है. जहां एक संक्रमित जानवर के मांस का सेवन या उसके शरीर के स्राव के संपर्क में आने से मानव में फैलता है. जहां काटने या खरोंचने से मनुष्यों से मनुष्यों में यह रोग फैलता है:
संपर्क :
संक्रमित व्यक्ति के शरीर के तरल पदार्थ के साथ यौन संपर्क या सीधा संपर्क.
संक्रमित लोगों के चकत्ते या फुंसियों के संपर्क में आने से भी यह संक्रमण फैलता है.
बीमार व्यक्ति के साथ लंबे समय तक आमने-सामने बैठकर संपर्क करने से.
वायरस से दूषित वस्तुओं जैसे बिस्तर या कपड़े को छूने के बाद.
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