मुंबई: दुनियाभर में जैसे-जैसे मंकीपॉक्स के मामले बढ़ते दिखे, WHO ने फौरन इसे ग्लोबल हेल्थ एमरजेंसी घोषित कर दिया। अमेरिका के सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेंशन ने 22 जुलाई को पुष्टि की कि दुनियाभर में मंकीपॉक्स के मामलों की संख्या कुल 16,836 पहुंच गई है।अब, चिकित्सकों के एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग ने मंकीपॉक्स से संक्रमित […]
मुंबई: दुनियाभर में जैसे-जैसे मंकीपॉक्स के मामले बढ़ते दिखे, WHO ने फौरन इसे ग्लोबल हेल्थ एमरजेंसी घोषित कर दिया। अमेरिका के सेंटर फॉर डिज़ीज़ कंट्रोल एंड प्रीवेंशन ने 22 जुलाई को पुष्टि की कि दुनियाभर में मंकीपॉक्स के मामलों की संख्या कुल 16,836 पहुंच गई है।अब, चिकित्सकों के एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग ने मंकीपॉक्स से संक्रमित लोगों में तीन नए लक्षणों की पहचान की है।
न्यू इंग्लैंड जर्नल ऑफ मेडिसिन अध्ययन अब तक की सबसे बड़ी मंकीपॉक्स केस स्टडी श्रृंखला है, जिसमें 27 अप्रैल और 24 जून 2022 के बीच 43 जगहों पर पाए गए 528 पुष्ट संक्रमण शामिल हैं। इस संक्रमण में स्किन से जुड़ी समस्या और रैशेज़ तो होते ही हैं, लेकिन शोधकर्ताओं के अनुसार कई संक्रमित लोगों में ऐसे भी लक्षण हैं, जिनके बारे में अभी तक कहीं ज़िक्र नहीं हो रहा है। इन लक्षणों में जननांग घाव, मुंह में छाले या घाव और मलाशय पर घाव शामिल हैं।
शोधकर्ताओं के अनुसार दस में से एक व्यक्ति को जननांग में केवल एक ही घाव था, और अध्ययन में शामिल 15 प्रतिशत लोगों को मलाशय में दर्द था। मंकीपॉक्स के ये नैदानिक लक्षण यौन संचारित संक्रमण (एसटीआई) जैसे सिफलिस या हर्पीज के समान हैं, यही कारण है कि इनका आसानी से सही निदान नहीं हो पाता।
शोध के विशेषज्ञों का सुझाव है कि मंकीपॉक्स के प्रकोप को रोकने के लिए सार्वजनिक स्वास्थ्य उपायों की मदद लेनी आवश्यक है, जैसे कि टेस्टिंग बढ़ानी होगी और लोगों को इस बारे में शिक्षित करना होगा ताकि इस रोकने पर काम किया जा सके। साथ ही एक्सपर्ट्स के मुताबिक मुंह, मलाशय जैसी जगहों पर छाले या घाव गंभीर रूप ले सकते हैं, इसलिए इनका समय पर निदान बेहद आवश्यक है।