नई दिल्ली। आपने मसल मेमोरी के बारे में तो शायद ही सुना होगा. आज हम आपको मसल मेमोरी के बारे में समझाने वाले है कि कैसे यह हमारे शरीर में कम करता है और इसका क्या योगदान है. कोई व्यक्ति एक बार साइकिल चलाने, बाइक चलाने, क्रिकेट खेलने या बास्केट बॉल खेलने जाता है तो […]
नई दिल्ली। आपने मसल मेमोरी के बारे में तो शायद ही सुना होगा. आज हम आपको मसल मेमोरी के बारे में समझाने वाले है कि कैसे यह हमारे शरीर में कम करता है और इसका क्या योगदान है. कोई व्यक्ति एक बार साइकिल चलाने, बाइक चलाने, क्रिकेट खेलने या बास्केट बॉल खेलने जाता है तो उसको पूरी उम्र याद रखता है. उस चीज को वह अपनी पूरी जिंदगी में कभी नही भूलता और इसे हम आम बोलचाल वाली भाषा में बोले तो यह मसल मेमोरी कहलाता है।
कनाडा के मेमोरियल यूनिवर्सिटी में काइनेटिक्स एंड रिक्रिएशन के प्रोफेसर डेविड बेहम के मुताबिक जब आप किसी मूवमेंट को एक बार अच्छे से करना सीख जाते हैं और बिना विचारे आटोमैटिकली करने लगते हैं तो इसकी सूचना माइंड में इनकोड हो जाती है. इससे फ़्यूचर के लिए भी फंडामेंटल कोर्डिनेशन बना रहता है. यही मांसपेशियों पर भी लागू होती है. ये भी ट्रेनिंग के समय सूचनाओं को इनकोड करने का काम करती है.
अमेरिका की सेन डियागो यूनिवर्सिटी में शरीर क्रिया विज्ञानी फैबियो कोमाना के मुताबिक अब आप एक्सरसाइज करते हैं तो मांसपेशियों के टिशु की मामूली क्षति होती है. निष्क्रिय कोशिकाएं जिन्हें सैटलाइट कौशिकाएं भी कहा जाता है. चोट वाली जगह पर जाकर मांसपेशियों के टिशु में कोशिकाओं का दिमाग कहे जाने वाले नयुक्लि को भर देती है जिसके कारण मांसपेशियां स्ट्रोंग होती हैं. आप जब लंबे समय तज एक्सरसाइज नही करते हैं तब भी ये न्यूक्लि उक्त स्थानों पर रहते है और मसल्स को बढ़ाने के लिए तैयार करते हैं.
अमेरिका की मैसाच्यूसेट्स यूनिवर्सिटी में बॉयोलॉजी के प्रोफेसर लॉरेंस श्वाटर्ज के मुताबिक आप जितना एक्सरसाइज करते हैं आपकी मसल्स मेमोरी उतनी ज्यादा स्ट्रोंग होती है. कई लोगों की जीवन में आजीवन बनी रहती है. इसलिए जिन्होंने भी फिटनेस और एक्सरसाइज पर ध्यान देना बंद कर दिया है वो दोबारा इसे स्टार्ट कर सकते हैं तो जिसने भी एक्सरसाइज नही की है उनकी तुलना में उन्हें फिटनेस और सेहत पाना बहुत आसान है. आपकी पहले की तरह फिटनेस पाना आपकी हाल की कंडीशन क्या है पूरी तरह उस पर निर्भर करती है.