नई दिल्ली: विटामिन डी को सनशाइन विटामिन कहते हैं क्योंकि यह सूर्य के प्रकाश की प्रतिक्रिया में भी शरीर से उत्पन्न होता हैं। यह एक घरेलू विटामिन के समूह में आता है। सूरज की रोशनी के संपर्क में कम आना, आमतौर पर जब आहार में कम विटामिन लिया जाता हैं। लेकिन कुछ विकारों के कारण भी इसकी कमी हो सकती है। जो लोग खानपान में भरपूर मात्रा में विटामिन डी को शामिल नहीं करते उनके शरीर में विटामिन डी की कमी होती है और लगातार कैल्शियम की कमी व हड्डिया भी कमजोर हो जाती है।
विटामिन डी की कमी होने का बड़ा कारण पर्याप्त मात्रा में शरीर को सूर्य का प्रकाश न मिलना। यह कमी अधिकतर उन लोगों में दिखाई देती है, जो लोग सूर्य के प्रकाश से दूर रहते है। विटामिन डी हमें मुख्य तौर पर सूर्य की रोशनी से मिलता है। इसके अलावा मशरूम, अंडे, और दूध भी विटामिन डी के स्त्रोत है। विटामिन डी की शरीर में कमी होने पर कई तरह के लक्षण सामने आते हैं।
विटामिन डी की कमी हड्डियों के रोग को प्रभावित करती है, विटामिन डी कैल्शियम को अवशोषित करने में मददगार होती है। शरीर में कैल्शियम की मात्रा कम होने पर विटामिन डी की कमी होती है। जिससे हड्डियों कमजोर हो जाती हैं जिससे हड्डियों और कमर में दर्द होता है।
शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता को भी विटामिन डी प्रभावित करता है। शरीर में विटामिन डी की कमी होने पर शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने लगती है, जिससे बैक्टीरिया और वायरस बढ़ते हैं। जिससे शरीर में संक्रमण बढ़ जाता है।
विटामिन डी की कमी से शरीर जल्दी थकने लगता है, जो कमजोरी का कारण बनता है और थोड़ा चलने पर भी शरीर में थकावट होती है। सांस भी फूलने लगती है।
विटमिन डी की कमी बालों को भी अधिक प्रभावित करती है, विटामिन डी की कमी से बालों का झड़ना बढ़ जाता हैं। ऐसे में बाल झड़ने अधिक हो जाते हैं और विटामिन डी की कमी होने लगती हैं।
विटामिन डी की कमी को डिप्रेशन से जोड़ा जाता हैं यह ऐसा विटामिन है जिसकी कमी होने पर मन हर समय खराब रहता है और अवसाद की भावना उत्पन्न होती हैं।