नई दिल्ली। बड़े- बुजुर्गों के मुंह से आपने कई बार सुना ही होगा कि कड़ाही में खाना नही खाना चाहिए. ज़्यादातर हम ऐसी बातों पर ध्यान नही देते है. कई लोग इसे रूढ़ीवादी सोच समझकर मजाक समझ लेते है. लेकिन क्या आप जानते है, यह एक सिर्फ़ कहावत नही है बल्कि इसका एक वैज्ञानिक कारण […]
नई दिल्ली। बड़े- बुजुर्गों के मुंह से आपने कई बार सुना ही होगा कि कड़ाही में खाना नही खाना चाहिए. ज़्यादातर हम ऐसी बातों पर ध्यान नही देते है. कई लोग इसे रूढ़ीवादी सोच समझकर मजाक समझ लेते है. लेकिन क्या आप जानते है, यह एक सिर्फ़ कहावत नही है बल्कि इसका एक वैज्ञानिक कारण भी है. जो बिल्कुल दर्शाती हैं कि, कड़ाही में खाना खाने से आपकी सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है. आइए जाने कड़ाही में खाना क्यों नही खाना चाहिए?
बता दें कि प्राचीनकाल में के समय में स्टील के बर्तन नही हुआ करते थे और ना ही बर्तनों को धोने के लिए डिटर्जेंट या साबुन का इस्तेमाल हुआ करता था. ज़्यादातर लोग उस समय लोहे की कढ़ाई का उपयोग करते थे, ऐसे में चावल या कोई और खाना बनने के बाद इसे तुरंत पानी में डाल दिया जाता था. जिससे बर्तन में किसी प्रकार की जंग या चिकनाई ना लगे. उसके बाद कड़ाही को राख से धोया जाता था. इसलिए कोई भी व्यक्ति अगर कड़ाही में खाता था तो उस बर्तन को धोने में दिक्कत होती थी.
दरअसल, भोजन के बन जाने के तुरंत बाद कड़ाही से खाना नही निकाला जाता था. इस कारण कड़ाही में चिकनाई लग जाती थी. राख और मिट्टी से बर्तनों को धोना कठिन होता था. इस वजह से बर्तन में गंदगी जमा हो जाती थी.
गौर करने की बात ये है कि कड़ाही में चिकनाई और लोहे की होने के कारण उसमें खाने से पेट खराब होने की संभावना होती थी. इस कारण ही कड़ाही में खाने को मना किया जाता था.
Disclaimer: इस आर्टिकल में बताई विधि, तरीक़ों व दावों की इन खबर पुष्टि नहीं करता है. इनको केवल सुझाव के रूप में लें. इस तरह के किसी भी उपचार/दवा/डाइट पर अमल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
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