नई दिल्ली: कॉरपोरेट जिंदगी ने इंसान का दिन-रात का चैन छीन लिया है. भागदौड़ भरी जीवनशैली के बीच व्यक्ति दिन-रात काम कर रहा है। शिफ्ट में काम करना हर कॉर्पोरेट कर्मचारी की मजबूरी है. मीडिया, मेडिकल, कॉल सेंटर जैसी कुछ सेवाएं हैं जहां उन्हें 24 घंटे काम करना पड़ता है. कुछ लोग ऐसे भी होते हैं जिनकी साल भर रात की शिफ्ट होती है. हाल ही में एक रिसर्च सामने आई है जिसमें पता चला है कि नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा बहुत ज्यादा होता है.
विशेषज्ञों का कहना है कि नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं में अन्य महिलाओं की तुलना में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 3 गुना ज्यादा होता है. इस शोध के मुताबिक, 24 घंटे की बॉडी क्लॉक में गड़बड़ी के कारण कैंसर कोशिकाएं बनने लगती हैं. शरीर में कैंसरयुक्त गांठें बनने लगती हैं.
एक्सपर्ट के मुताबिक, नाइट शिफ्ट में काम करने वाली महिलाओं में कैंसर का खतरा अधिक होता है. इसमें सबसे पहले शरीर में मेलाटोनिन का स्तर बढ़ने लगता है. यह एक प्रकार के हार्मोन हैं जो रात को सोने से उत्पन्न होते हैं लेकिन अगर कोई व्यक्ति रात को नहीं सोता है तो उसके अंदर यह हार्मोन उत्पन्न नहीं होते हैं. जो आगे चलकर कैंसर का कारण बनता है. इससे शरीर में कैंसर कोशिकाएं नहीं बन पाती हैं. इसके अलावा, यह हार्मोन ट्यूमर के विकास में जीन को भी शामिल करता है. इसलिए हर व्यक्ति के लिए रात को सोना बहुत जरूरी है. लेकिन जब आप रात में जागते हैं तो इसके निर्माण में बाधा आती है और बाद में कैंसर का खतरा बढ़ जाता है.
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