नई दिल्ली: यदि आप ईयर ड्रॉप का उपयोग करने के शौकीन रखते हैं और मानसून में ईयर ड्रॉप का इस्तेमाल कर रहे हैं तो अभी बंद कर दें, क्योंकि यह आपके कान के स्वास्थ्य के लिए भी चुनौतियां पैदा कर सकता है. वहीं हियरक्लियर के वरिष्ठ ईएनटी सलाहकार डॉ. राजेश धीर बताते हैं कि मानसून के दौरान बढ़ी हुई आर्द्रता आपके कानों को प्रभावित कर सकती है और ईयर ड्रॉप का उपयोग इसे और बदतर बना सकता है.
बारिश में न डालें ईयर ड्रॉप
मानसून की उच्च आर्द्रता बैक्टीरिया और कवक के लिए प्रजनन स्थल बनाती है, जिससे कान में संक्रमण का खतरा काफी बढ़ जाता है. ये संक्रमण कान में खुजली, लालिमा, सूजन और स्राव का कारण बन सकते हैं. यहां तक कि हरे-पीले रंग का मवाद निकल सकता है, जिससे सुनने की क्षमता प्रभावित हो सकती है. डॉ. राजेश धीर ने कहा कि नमी भी ईयरवैक्स उत्पादन को प्रभावित कर सकती है.
नमी करती है दिक्कत
नमी हवा कान के मैल को नरम कर देती है, जो शुष्क अवधि के दौरान कठोर हो सकती है और रुकावट पैदा कर सकती है. इसके अतिरिक्त नमी के स्तर में उतार-चढ़ाव से टिनिटस की स्थिति खराब हो सकती है, यह एक ऐसी स्थिति है जिसमें कानों में घंटियां या भिनभिनाहट जैसी आवाजें आती हैं.
हालांकि मानसून के दौरान कान की परेशानी के लिए ईयर ड्रॉप एक त्वरित समाधान की तरह लग सकते हैं, डॉ. राजेश धीर का कहना है कि बिना प्रिस्क्राइब्ड ईयरड्रॉप्स का इस्तेमाल फायदे से ज्यादा नुकसान पहुंचा सकता है.
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