नई दिल्ली : अगर आपको भी एंग्जायटी है तो आप जानते होंगे कि सामान्य जीवन में इसके साथ बने रहना कितना मुश्किल है. यह न केवल आपके मानसिक बल्कि आपके शारीरिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाती है. परेशान करने वाली बात ये है कि एंग्जायटी होती सबको है और इसे बीमारी की तरह पहचान पाना […]
नई दिल्ली : अगर आपको भी एंग्जायटी है तो आप जानते होंगे कि सामान्य जीवन में इसके साथ बने रहना कितना मुश्किल है. यह न केवल आपके मानसिक बल्कि आपके शारीरिक स्वास्थ्य को भी नुकसान पहुंचाती है. परेशान करने वाली बात ये है कि एंग्जायटी होती सबको है और इसे बीमारी की तरह पहचान पाना काफी मुश्किल है. कई बार हम सामाजिक तौर पर असुरक्षित महसूस करते हैं. निजी जीवन के उतार चढ़ाव का एंग्जायटी की समस्या में काफी बड़ा योगदान होता है. नकारात्मक विचार या परेशानी बहुत लंबे वक्त तक बनी रहे और उससे आपकी रोजमर्रा की जिंदगी प्रभावित होने लगे तो आपको एंग्जायटी होने लगती है. लेकिन आज हम एंग्जायटी के उपायों और इसके इलाज के बारे में बात करने वाले हैं.
एंग्जायटी का सबसे बड़ा कारण है चिंता करना और दुःख. सही मायनों में दुःख भी चिंता का ही एक रूप है अगर आप दुखी हैं तो अवश्य आप टेंशन अधिक लेंगे. व्यक्ति को चिंता किसी भी चीज या फिर किसी भी समय हो सकती है लेकिन अगर इसका सही समय पर इलाज किया जाए तो यह अवसाद का रूप नहीं लेगी। ऐसे में जब भी आपको चिंता हो तो इससे छुटकारा पाने के लिए अपना पसंदीदा काम करें. आप अपनी हॉबी को चुन सकते हैं. या आप एक वॉक के लिए भी जा सकते हैं.
इस स्थिति में आप किसी बाहरी इंसान की भी मदद ले सकते हैं. ये आपका कोई दोस्त मित्र परिवार का सदस्य या आपका डॉक्टर भी हो सकता है. एंग्जायटी और मेन्टल हेल्थ को लेकर डॉक्टर और मनोचिकित्सक आज के समय में काम कर रहे हैं जो आपकी मदद कर सकते हैं. इतना ही नहीं यदि एंग्जायटी के एक भी लक्षण से आप, आपके परिवार का कोई व्यक्ति या जान पहचान का कोई इंसान पीड़ित है तो सबसे अच्छा यही है कि इलाज के लिए आप किसी अच्छे चिकित्सक, मनोचिकित्सक या मनोवैज्ञानिक के पास जाएं.
स्वामी विवेकानंद की एक सीख यहां सटीक बैठती है कि अगर समस्या से अधिक उसके समाधान के बारे में सोचेंगे तो समस्या खुद ब खुद हट जाएगी. एंग्जायटी (Anxiety) की समस्या होने पर उसे अंतिम सत्य नहीं मानना चाहिए. आपको उसके इलाज को लेकर सचेत हो जाना चाहिए. और अपने अंदर नई इच्छा शक्ति को जन्म देना चाहिए. समाधान और चिंता दोनों में अंतर दिशा का ही है. आप दोनों स्थिति में सोचते हैं और अपने दिमाग पर जोर देते हैं. आपको चुनाव करना है कि आप किस दिशा में सोचते हैं.
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