विश्व एड्स दिवस की शुरुआत 1988 में हुई थी ताकि एचआईवी/ एड्स के खिलाफ जागरूकता फैलाई जा सके। इस दिन का मुख्य उद्देश्य यह
HIV/ AIDS: विश्व एड्स दिवस की शुरुआत 1988 में हुई थी ताकि एचआईवी/ एड्स के खिलाफ जागरूकता फैलाई जा सके। इस दिन का मुख्य उद्देश्य यह है कि लोगों को इस बीमारी के बारे में जानकारी प्राप्त करने और उसके खिलाफ लड़ाई में शामिल होने के लिए प्रेरित किया जाए। इस दिवस के माध्यम से हमें यह याद दिलाया जाता है कि एचआईवी/ एड्स एक गंभीर समस्या है और हमें इसके खिलाफ साझी जिम्मेदारी लेनी चाहिए।
गुजरे 25 वर्षों में एचआईवी/ एड्स के मामलों में वृद्धि का आंकड़ा संकेतक है, लेकिन विभिन्न पहलों और जागरूकता के कारण इसमें कमी भी आई है। भारत में राष्ट्रीय स्तर पर एचआईवी के केस सालाना 40 फीसदी की दर से कम हो रहे हैं। राष्ट्रीय एड्स नियंत्रण संगठन के अनुसार, भारत में 2.40 मिलियन लोग एचआईवी संक्रमित हैं, जिसमें से करीब 80 फीसदी मरीज 15 से 49 साल के हैं।
हालात के अनुसार, कुछ राज्यों में एचआईवी के मामलों में वृद्धि देखी गई है। पंजाब में साल 2010 से 2023 तक एचआईवी के मामले करीब 117 फीसदी तक बढ़ गए हैं। इसी दौरान त्रिपुरा में इस वायरस के मामलों में 524 फीसदी, अरुणाचल प्रदेश में 470% और मेघालय में 125 फीसदी तक का इजाफा हुआ है।
एचआईवी के बढ़ते मामलों के पीछे कई कारण हैं, जैसे कि नशे की लत और असुरक्षित यौन संबंध। युवाओं में नशे की लत का बढ़ता हुआ प्रचार और असुरक्षित सेक्स के बढ़ते मामले इस बीमारी को फैलाने में मुख्य योगदान दे रहे हैं।
एचआईवी संक्रमण को रोकने के लिए जागरूकता और सही जानकारी का प्रचार-प्रसार महत्वपूर्ण है। लोगों को यह जानकारी देना जरूरी है कि एचआईवी कैसे होता है और इसके प्रति संवेदनशीलता बढ़ानी चाहिए। साथ ही, सामुदायिक स्तर पर व्यवस्थाओं की ओर से भी एचआईवी के खिलाफ उपायों को समर्थन देना और संचालन करना आवश्यक है। इन सभी पहलों से हम सकारात्मक बदलाव लाने के लिए एकजुट होकर काम कर सकते हैं और एचआईवी/ एड्स संक्रमण को रोकने के लिए अपना योगदान दे सकते हैं।
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