दिल्ली: कोलेस्ट्रॉल एक मोम जैसा-सा पदार्थ होता है, जो खून के अंदर पाया जाता है. शरीर को इसकी जरूरत कोशिकाओं को स्वस्थ रखने और नई कोशिकाओं के निर्माण के लिए भी होती है. लेकिन जब कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) का स्तर बढ़ जाता है तो यह दिल की बीमारीयों का कारण बन जाता है. उच्च कोलेस्ट्रॉल के कारण रक्त वाहिकाओं में वसायुक्त जमा (Fatty Deposits)होने लगती हैं, जो बाद में इतने बढ़ जाते हैं कि शरीर में खून के बहाव (Blood Flow) को बाधित करने लगती हैं.
कोलेस्ट्रॉल बढ़ने की समस्या अनुवांशिक कारणों से भी हो सकती है. लेकिन आमतौर पर इस समस्या की वजह सही जीवनशैली का अभाव होता है. इसलिए यह बात साफ है कि आप इस बीमारी को होने से रोक भी सकते हैं और होने के बाद इसे नियंत्रित भी कर सकते हैं.
बता दें कि बढ़े हुए कोलेस्ट्रॉल को पहचानने के लिए कोई खास लक्षण नहीं होते हैं. डॉक्टर्स आपके शरीर की जांच के बाद ही इस बारे में पहले से सूचना दे सकते हैं. हालांकि आप अपने ब्लड टेस्ट के जरिए कोलेस्ट्रॉल की स्थिति के बारे में जान सकते हैं. व्यक्ति के लगातार मितली आने की समस्या होना, जबड़ों और बाहों में दर्द होना, सांस लेने में परेशानी होना और बहुत अधिक पसीना आना, जैसी परेशानिया का एक साथ हों तो आपको इन्हें गंभीरता से लेना चाहिए.
सेहत के बारे एक्सपर्ट्स का कहना है कि कोलेस्ट्रॉल की जांच के लिए और इस बीमारी से बचने के लिए 40-45 साल से लेकर 65 साल के पुरुषों को हर वर्ष अपना कोलेस्ट्रॉल चेक कराना चाहिए. वहीं 55 से 65 साल की महिलाओं को हर साल अपनी कोलेस्ट्रॉल जांच करानी चाहिए. यदि आपकी जांच रिपोर्ट में कोई भी दिक्कत होती है तो आपके डॉक्टर आपकी जरूरत के अनुसार आपको दवाएं और थेरपी की सलाह देंगे.
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